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वास्तु चिन्तामणि
ध्रुव तारा स्थित होता है, जो कि स्थिरता प्रदायक होता है। उत्तर दिशा की ओर उतार होने से घर में धन स्थिर होता है।
वास्तुसार प्र. 1 गाथा 9 में कहा हैं
'पुव्वेसाणुत्तरंबुवहा'
अर्थात् पूर्व, ईशान एवं उत्तर की ओर जल प्रवाह हो तो वह भूमि परिवार के लिए अत्यंत सुख- शांति एवं समृद्धिदायक होती है।
पश्चिम, वायव्य और नैऋत्य दिशा की ओर जमीन का उतार होने पर वह भूमि परिवार के लिए निष्प्रयोजन व्ययकारी होने से अर्थ संकट को प्रदान करती है।
दक्षिण, आग्रेय दिशा में उतार होने से अचानक धन नाश, वंश नाश, विनाश, मृत्यु की प्राप्ति होती है।
नैऋत्य एवं वायव्य में उतार होने पर परिवार के लिए अनेकों रोगों की उत्पत्ति होती है।
भूमि के मध्य में गढ्ढा होने पर सर्वनाश होता है।