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________________ 16 वास्तु चिन्तामणि का भवन छियानवें (96) खण्ड का उत्तुंग राजप्रासाद था । निश्चय ही यह संरचना वास्तुकला एवं विज्ञान का अकल्पनीय प्रादर्श थी। चक्रवर्ती के पास नव निधि तथा चौदह रत्न होते हैं। चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में सात अजीव तथा शेष सात जीव रत्न होते हैं। महापुराण के तीसरे अध्याय के श्लोक 177 के अनुसार चक्रवर्ती के चौदह रत्न इस प्रकार हैं 1. चक्र 2. छत्र 6. मणि 5. काकिणी 9. गृहपति 13. स्थपति 1. काल 2. महाकाल 6. पद्म 7. नैसर्प 10. गज 14. युवती इनमें स्थपति नामक जीवन रत्न नदी पर पुल बनाना तथा सेना के लिए ठहरने के स्थान एवं चक्रवर्ती के आवास योग्य विविध वास्तु शिल्प कला युक्त सुन्दरतम भवनों आदि का निर्माण अपनी विद्या से करता था । चक्रवर्ती की नव निधियां इस प्रकार हैं। है। ** 3. खड्ग 7. चर्म 11. अश्व 594 इनमें नैसर्प निधि भवन (हर्म्य) प्रदान करती है। उपरोक्त विवरण शिल्पकला का प्राचीन वैभव प्रदर्शित करने के लिए पर्याप्त है। प्रथमानुयोग ग्रंथों यथा महापुराण, हरिवंशपुराण आदि ग्रंथों के अध्ययन से प्राचीन वैभव की विशेष जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इनके अतिरिक्त वास्तु शास्त्र नामक एक ग्रंथ सनत्कुमार मुनि के द्वारा रचित संस्कृत श्लोकबद्ध ग्रंथ है। * इसी प्रकार शिल्प - शास्त्र नामक ग्रंथ भट्टारक एकसंघी द्वारा विरचित ***** - 4. भागव 3. पाछु 8. पिंगल १. नानारत्न जैन ज्ञान कोश खण्ड 4 पृष्ठ 102 जैन ज्ञान कोश खण्ड 4 पृष्ठ 256 जैन ज्ञान कोश खण्ड 4 पृष्ठ 182 4. दण्ड 8. सेनापति 12. पुरोहित शिल्पीसंहिता नामक ग्रंथ आचार्य वीरनदि के द्वारा रचा गया है। वास्तु कषाय व्रत कथा नामक एक कथा ग्रंथ भी पूर्व में लिखा गया जिसकी श्लोक संख्या एक हजार है। **** वास्तु शांति के लिए वास्तु विधान का किया जाना आवश्यक है। इसके लिए वास्तु विधान नामक ग्रंथ लिखा गया था। जिसमें अंकुरारोपण विधान, नांदि विधान, सकलीकरण का संक्षिप्त कथन करके ब्रह्म, इन्द्र, वरुण, पवन आदि दस वास्तु देवताओं की पृथक पूजा दी गई है। ** +191 5. यॉरन ***** *** जैन ज्ञान कोश खण्ड 4 पृष्ठ 256 जैन ज्ञान कोश खण्ड 4 पृष्ठ 182 :
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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