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________________ वास्तु चिन्तामणि फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृहयत्ताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा ! शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ गुड़, मैदा का घूगरा चढ़ाएँ । ( 19 ) रुद्रराज देव पूजा " हे रुद्रराजदेव पधारो यज्ञ में गृह शांति करो परिवार में । वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में । । 191 ॐ आं क्रौं ह्रीं पीतवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे रुद्रराज देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे रुद्रराज देव! इदम पाद्यं जलं गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । m शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ गुड़ चावल का आटा, अम्बोली ( इमली ) चढ़ाएँ । ( 20 ) आप्देव पूजा हे आप देव पधारो यज्ञ में, गृह शांति करो परिवार में । वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में || 201 ॐ आ क्रौं ह्रीं श्वेतवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे आपदेव देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा । हे आपदेव देव! इदमर्घ्य पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अर्घ्यं समर्पयामि स्वाहा । - 265 - शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत् ) अर्घ्य के साथ गुड़, चावल, आटा, सफेद कमल, शंख अम्बोली चढ़ाएँ । - ( 21 ) आपवत्स देव पूजा , हे आपवत्स देव पधारो यज्ञ में गृह शांति करो परिवार में। वसुद्रव्य भक्ष्य सब आदि ले, जजत हूँ इस यज्ञ आदि में । 12111 ॐ आं क्रौं ह्रीं शंखवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार आपवत्स देव अत्र आगच्छ आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्वाहा ।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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