________________
वास्तु चिन्तामणि
259
ॐ हीं इन्द्राय स्वाहा, इन्द्र परिजनाय स्वाहा, इन्द्र अनुचराय नमः, वरुणाय स्वाहा, सोमाय स्वाहा, प्रजापतये स्वाहा, ॐ स्वाहा। ॐ भूः स्वाहा, भुव: स्वाहा, भूर्भुव स्वाहा, स्व: स्वाहा, स्वधा स्वाहा, हे इन्द्रदेव! इदमयं पाद्यं जल, गंध, अक्षतं पुष्पं, दीपं, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् इति अयं समर्पयामि स्वाहा।
झांतिधारा, पुष्पांजलि भिभोट) अर्घ्य के साथ कोष्ट, उपलेट, फूल चढ़ाएँ।
(3) अग्नि देव पूजा अग्निकुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्ध्य बनाकर लाया हूँ।
सुरव समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ।।3।। ॐ आं क्रौं ही रक्तवर्ण सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे अग्निदेव अत्र आगच्छ - आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे अग्निदेव! इदमयँ पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्प, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा।
___ शांतिधारा (पुष्पांजलि क्षिपेत्)। अर्घ्य के साथ (दूध, घी, तगर चढ़ाएँ)।
(4) यमदेव पूजा यम कुमार देव की यहाँ पर पूजा करने आया हूँ। नाना विधि से पूजा करके मन में शांति पाया हूँ।। जल चंदन अक्षत आदि ले मैं अर्ध्य बनाकर लाया हूँ। सुख समृद्धि सब शांति पाने, अर्चन करने आया हूँ।।4।। ॐ आं क्रौं ही कृष्णवर्णे सम्पूर्ण लक्षण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपरिवार हे यमदेव अत्र आगच्छ-आगच्छ, स्वस्थाने तिष्ठ-तिष्ठ ठः ठः स्वाहा।
हे यमदेव! इदमर्थ्य पाद्यं जलं, गंध, अक्षतं पुष्प, दीप, धूपं, चरुं, बलि, फलं स्वस्तिकं यज्ञ भागं च यजामहे - यजामहे प्रतिगृह्यताम् प्रतिगृह्यताम् अयं समर्पयामि स्वाहा।
शांतिधारा, (पुष्पांजलि क्षिपेत्) अर्घ्य के साथ तिल का चूर्ण, तुअर का बाकरा चढ़ाएँ।
मल चदन अक्षत आदिले