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वास्तु चिन्तामणि
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खात मुहूर्त करने का स्थान निर्धारण
किसी भी वास्तु का खात मुहुर्त नागमुख स्थिति के पिछले भाग में ही करना चाहिए
नागमुख ईशान में होने पर खात मुहुर्त आग्नेय दिशा में करें। नागमुख वायव्य में होने पर खात मुहुर्त ईशान दिशा में करें। नागमुख नैऋत्य में होने पर खात मुहुर्त वायव्य दिशा में करें। नागमुख आग्नेय में होने पर खात्त मुहुर्त नैऋत्य दिशा में करें। जिनालय निर्माण के समय नाग मुख की स्थिति - ईशान में मुख होगा यदि मीन, मेष और वृषभ का सूर्य हो वायव्य में मुख होगा यदि मिथुन, कर्क और सिंह का सूर्य हो नैऋत्य में मुख होगा यदि कन्या, तुला, वृश्चिक का सूर्य हो आग्नेय में मुख होगा यदि धनु, मकर, कुम्भ का सूर्य हो
घर निर्माण के समय नाग मुख की स्थिति ईशान में मुख होगा यदि सिंह, कन्या, तुला का सूर्य हो वायव्य में मुख होगा यदि वृश्चिक, धनु, मकर का सूर्य हो नैऋत्य में मुख होगा यदि कुंभ, मेष, मीन का सूर्य हो आग्नेय में मुख होगा यदि वृषभ, मिथुन, कर्क का सूर्य हो
जलाशय निर्माण करते समय नागमुख की स्थिति
कुंआ, बावड़ी, तालाब, नलकूप आदि निर्माण करते समय नाग का मुख निम्नानुसार रहता है
ईशान में मुख होगा यदि मकर, कुंभ, मीन राशि का सूर्य हो वायव्य में मुख होगा यदि मेष, वृषभ, मिथुन राशि का सूर्य हो नैऋत्य में मुख होगा यदि कर्क, सिंह, कन्या राशि का सूर्य हो आग्नेय में मुख होगा यदि तुला, वृश्चिक, धनु राशि का सूर्य हो