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वास्तु चिन्तामणि
यदि कोई भी एक ग्रह नीच स्थान का, शत्रु स्थान का या शत्रु के नवांशक का होकर सातवें स्थान में या बारहवें स्थान में हो तथा गृहपति के वर्ण का स्वामी निर्बल हो तो ऐसे समय प्रारम्भ किया गया घर निश्चय की शत्रु के में चला जाता हैं
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गृहस्वामी या गृहपति का वर्ण स्वामी विचार
भण सुक्क विफह रवि कुज खात्तिय मयं अवइसो अ बहु सुदु मिच्छसणितमु गिहसामि यवण्णनाह इमं । ।
वास्तुसार प्रागा. 33
ब्राह्मण वर्ण के स्वामी शुक्र एवं बृहस्पति हैं। इसी प्रकार क्षत्रिय वर्ण के स्वामी रवि एवं मंगल, वैश्य वर्ण के स्वामी चन्द्र, शूद्र वर्ण के स्वामी बुध, म्लेच्छ वर्ण के स्वामी शनि व राहू हैं। ये गृहस्वामी के वर्ण स्वामी कहलाते हैं।
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