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________________ 198 वास्त हो। यदि ओवर हैड टाकी बनाना आवश्यक हो तो इस ईशान में न बनाए। भूमिगत जल व्यवस्था दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम अथवा यायव्य में नहीं रखना चाहिए। ओवर हैड टांकी पश्चिमी नैऋत्य में बनाना चाहिए। शौचालय शौचालय की व्यवस्था वायव्य अथवा आग्नेय भाग में करना चाहिए। इनको कम्पाउन्ड पाल से लगकर न बनाएं। कुछ हटकर बनाएं। प्रशासनिक कार्यालय में भी इसी भाग में शौचालय बनाना चाहिए। पार्किंग वाहनों के रूकने के लिए पृथक स्थान आवश्यक है। पार्किंग की व्यवस्था उत्तरी वायव्य अथवा पूर्वी आग्नेय में रखना उपयुक्त है। पार्किंग की व्यवस्था कम्पाउन्ड वाल से लगकर न करें। थोड़ा अन्तर रखकर करें। बायलर बायलर, ट्रांसफार्मर, विद्युत आपूर्ति के उपकरण, जनरेटर, बिजली का खंभा आदि कारखाने के पूर्वी आग्नेय भाग में स्थापित करना चाहिए। आग भट्टी, आदि भी आग्नेय में रखना श्रेयस्कर है। चिमनी चिमनी भी पूर्वी आग्नेय में ही रखना उपयुक्त है। वृक्ष एवं वाटिका बगीचा या पुष्प वाटिका लगाना हो तो पूर्वी या उत्तरी भाग में लगा सकते हैं। ऊंचे वृक्ष दक्षिण या पश्चिम में लगा सकते हैं किंतु उनको इतना दूर लगाना चाहिए कि दोपहर में उनकी छाया कारखाने पर न पड़े। द्वारपाल कक्ष यदि पूर्वी ईशान में गेट हो तो इसके दक्षिणी भाग में द्वारपाल कक्ष बनाएं। यदि उत्तरी ईशान में गेट हो तो इसके पश्चिमी भाग में द्वारपाल. कक्ष बनाना चाहिए। उपरोक्त संकेतों के अनुरूप कारखाने का वास्तु निर्माण करना उद्योग को सुफलदायी बनाता है। यहा तद्वा निर्माण करने से उद्योग लाभप्रद नहीं रहता तथा विविध कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उद्योगपति एवं श्रमिकों के संबंधों में कटता आती है। छोटी-छोटी बातों से मुकदमे बाजी आदि में उलझना पड़ता है। अतएव यह उचित ही है कि कारखाने का निर्माण वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुरूप ही किया जाए।
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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