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________________ वास्तु चिन्तामणि 197 निर्मित माल भण्डार निर्मित माल को रखने का सर्वाधिक उपयुक्त स्थान वायव्य भाग है। यहां माल रखने से माल का विक्रय शीघ्रता से होता है। अर्धनिर्मित माल भण्डार अर्धनिर्मित माल का भण्डारण भी उद्योग में आवश्यक होता है। कई बार माल एक साथ तैयार न करके अर्धनिर्मित रखकर भण्डारण करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में भण्डारण, पश्चिमी भाग में करना चाहिए। इसे दक्षिणी भाग में भी रखा जा सकता है। कच्चे माल का भण्डारण कच्चे माल का भण्डारण रखना प्रत्येक उद्योग की आवश्यकता है। कच्चा माल या सामग्री इतनी अवश्य रखना चाहिए कि कारखाना अविराम गति से चलता रहे। अचानक कच्चा माल कम हो जाने से मशीनें रूक सकती हैं तथा अप्रत्याशित हानि हो सकती है। कच्चे माल का भण्डारण उत्तरी भाग में करना चाहिए। __विशेष-भण्डार कक्ष यदि नैऋत्य में रखना पड़े तो उसे भरा हुआ रखना चाहिए। खाली न रखा करें। अन्यथा विपरीत परिणाम होंगे। किसी भी स्थिति में ईशान में भण्डार कक्ष न बनाएं निरुपयोगी एवं खराब सामग्री का भंडारण निरुपयोगी एवं खराब सामग्री का भण्डारण कभी भी उत्तर या पूर्व में न रखें। इसे नैऋत्य दिशा में रखना श्रेयस्कर है। कामगारों की स्थिति कामगारों को इस तरह खड़ा करना चाहिए कि उनका मुरव उत्तर या पूर्व की ओर होवे। कर्मचारियों के रहने का स्थान कर्मचारियों के रहने का स्थान उद्योग के ईशान भाग में किया जाना उपयुक्त है। इसे आग्नेय भाग में भी रख सकते हैं किन्तु यदि इस हेतु बहुमंजिली इमारत कारखाने से ऊंची हो तो नैऋत्य भाग में रखना चाहिए। जल व्यवस्था जल व्यवस्था ईशान में करना चाहिए, इसे पूर्व या उत्तर में भी रख सकते हैं। किन्तु यह ध्यान रखें कि यहां बोर वेल, कुआ अथवा भूमिगत जल टंकी
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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