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वास्तु चिन्तामणि
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तास्त किराये पर देना Leasing / Renting of Vaastu कुछ लोगों का मत यह है कि यदि वास्तु किराये से दी जाएगी तो स्वामी को उसका शुभाशुभ फल नहीं होगा किन्तु वास्तु का स्वामित्व होने से वास्तु का परिणाम वास्तु स्वामी को अवश्य ही मिलता है। किरायेदार को भी वास्तु के प्रयोग करने के कारण उसके शुभाशुभ परिणामों को झेलना पड़ता है। किराये की राशि स्वामी के द्वारा ग्रहण किए जाने के कारण भी वह वास्तु के शुभाशुभ परिणामों का प्रभाव अवश्य ही पाता है। ___ यदि अपनी वास्तु किराये से देना है अथवा उसका कुछ भाग देना है तो उत्तर एवं पूर्व का भाग स्वयं के लिए रखना चाहिए तथा दक्षिण एवं पश्चिम का भाग किराये पर देना चाहिए। ___ मकान का ईशान भाग कभी भी किराये से न देखें। विशेषकर ऐसे भूखण्ड में जिनमें उत्तर एवं पूर्व में सड़क हो। यदि भूखण्ड के पूर्व में सड़क हो तथा मकान में ऐसा निर्माण किया गया हो कि एक भाग में रहना हो तथा दूसरा किराये से देना हो तो स्वयं पूर्वी या उत्तरी भाग में रहना चाहिए तथा दक्षिणी या पश्चिमी भाग किराये से देना चाहिए किन्तु वह भाग खाली रहने पर उस भाग में रहने आ जाएं। उसे खाली रखना ठीक नहीं है। इससे विविध परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उत्तरी एवं पूर्वी दिशा में भार रखकर दक्षिणी एवं पश्चिमी दिशा खाली रखना अनुकूल नहीं है।
वास्तु दोषों का जितना प्रभाव स्वामी पर पड़ता है, उतना ही किरायेदार पर भी होता है। अतएव किराये से मकान लेते समय पूर्ण रूप से सजग रहना चाहिए, ताकि वास्तु दोषों के दुष्प्रभाव से प्रभावित न हों।
जिस मकान में उत्तर में सड़क हो वे पूर्वी एवं दक्षिणी आग्नेय, पश्चिमी एवं दक्षिणी नैऋत्य एवं उत्तरी वायव्य भाग किराये से दे सकते हैं। किराये से दिया गया मकान खाली न रखें, उसमें दूसरा किरायेदार रखें अन्यथा भयंकर हानि की आशंका निर्मित होती है।