________________
186
वास्तु चिन्तामणि
देवस्थान विचार
गृहे प्रविशता वामे भागे शल्य वर्जिते। देवतावसरं कर्यात्साध हस्तोर्ध्व भमिके।19811 नीचैर्भूमि स्थितं कुर्यात् देवतावसरं यदि। नीचैर्नीचैस्ततोवश्यं संतत्यापि समं भवेत्।।११।।
- उमास्वामी श्रावकाचार देवस्थान बनाते समय इस बात को ध्यान में रखें कि उसे गृह प्रवेश करते हुए वाम भाग में शल्य रहित डेढ़ हाथ ऊंची भूमि पर देवस्थान (वेदी) बनाना चाहिए। यदि देवस्थान नीची भूमि पर बनाया जाएगा तो गृहस्थ अवश्य ही सन्तान हानि के साथ उत्तरोत्तर हीन अवस्था को प्राप्त होता जायेगा।