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वास्तु चिन्तामणि
इसी प्रकार एक अन्य श्लोक है
नेमिनाथो वीर मल्लीनाथो वैराग्य कारकः। त्रयो वै भवने स्थाप्या न गृहे शुभदायकाः।।
- वास्तुसार पृ. 98 उमास्वामी श्रावकाचार में प्रतिमाओं के आकार के बारे में भी उल्लेख किया गया है। एक से ग्यारह अंगुलों की प्रतिमाओं में से विषमांगुलों की प्रतिमा इच्छित फल दायक होती हैं। उमास्वामी श्रावकाचार में कहा है
अथातः संप्रवक्ष्यामि गृह बिम्बस्य लक्षणं। एकांगुलं भवेत् श्रेष्ठ द्वयंगुलं धननाशनं।। त्र्यंगुले जायने बृद्धिः पीड़ास्याच्चतुरंगुले। पंचांगुले सुबुद्धिस्यादु द्वैगस्तु षडंगुले।। सप्तांगुले गवांवृद्धे बुद्धि हानिरष्टांगुले। नवांगुले पुत्रवृद्धि धननाशो दशांगुले।। एकादशांगुलबिम्ब सर्वकामार्थ साधनं।
एतत्प्रमाणमारव्यातम् तं ऊर्ध्व न कारयेत।। प्रतिमा आकार
परिणाम एक अंगुल
श्रेष्ठ कारक | 2 | दो अंगुल
धननाश कारक तीन अंगुल
धन धान्य वृद्धि कारक | चार अंगुल
रोग पीडाकारक | पांच अंगुल
उत्तम बुद्धि, ज्ञान वृद्धि कारक 6 छह अंगुल
उद्वेग कारक सात अंगुल धन धान्य व परिवार उन्नतिकारक | आठ अंगुल
बुद्धि क्षीणकारक नौ अंगुल
संतान दायक दस अंगुल
धनहानि कारक ग्यारह अंगुल
सर्वार्थसिद्धिकारक
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