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________________ 158 वास्तु चिन्तामणि स्नान करते समय भी दिशा का ध्यान रखना उचित है। उमास्वामी श्रावकाचार में उल्लेख हैं स्नानं पूर्व मुखी भूय प्रतांच्या दन्तधावनम् । उदीच्यां श्वेतवस्त्राणि पूजा पूर्वोत्तर मुखी । 1971 1 पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्नान करना चाहिए । पश्चिम दिशा की ओर मुख करके दातौन करना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर मुख करके श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए तथा पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके पूजा करना चाहिए। शौचालय एवं शौच कूप Lavatory Toilet & Septic Tank प्राचीन शास्त्रों में एक उक्ति है 'शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्' इस लोकोक्ति के अनुसार धर्म का साधन करने के लिए शरीर का आश्रय आवश्यक है। शरीर की स्वास्थ्य रक्षा के लिए शुचिता आवश्यक है। आहार विहार का प्रभाव आचार-विचार पर निश्चित रूप से पड़ता है। अतः आहार विहार की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। शौचादि क्रियाओं के लिए प्राचीन काल में ग्राम के बाहर खुले स्थान में जाया जाता था। इससे मनुष्य का प्रकृति के साथ सम्बन्ध बना रहता था। वर्तमान भौतिक युग में यह साधारणतः सम्भव नहीं है कि शौचादि क्रियाओं के लिए बाहर जाया जा सके। अतएव मकान में ही शौचालय की व्यवस्था की जाती है। वास्तुशास्त्र में दिशाओं के प्रभाव के अनुकूल शयन कक्ष, पूजा कक्ष सामान कक्ष की भांति शौचालय का निर्माण करने का भी विवरण है। दिशाओं के प्रभावों के अनुरूप शौचालय की स्थिति भी अनुकूल प्रतिकूल फलदायी होती है। यह जीवन में यश अपयश, डानि-लाभ, स्वास्थ्य रोग, आदि का कारण बनता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिमी वायव्य या दक्षिणी आग्नेय दिशा में शौचालय बनवाना चाहिए। यह नैऋत्य में कभी नहीं बनाना चाहिए। शौचालय का दरवाजा पूर्व या आग्नेय की तरफ खुलने वाला होना चाहिए। शौचालय में बैठते समय मुख उत्तर की ओर होना चाहिए एवं मुख पूर्व की ओर कभी नहीं होना चाहिए। वास्तु से दो तीन फुट का अंतर रखकर शौचालय बनाया जाए तो उत्तम है। प्राचीन वास्तुकार नैऋत्य दिशा में भी शौचालय को उपयुक्त मानते थे किन्तु उनमें शौचकूप ( सैप्टिक टैंक) नहीं होता था। बाहर से सफाई - ;
SR No.090532
Book TitleVastu Chintamani
Original Sutra AuthorDevnandi Maharaj
AuthorNarendrakumar Badjatya
PublisherPragnyashraman Digambar Jain Sanskruti Nyas Nagpur
Publication Year
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Art
File Size5 MB
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