________________
142
यास्तु चिन्तामणि
रसोई घर (चौका)
Kitchen रसोई घर में परिवार के लिए भोजन निर्माण किया जाता है। भोजन सिर्फ उदर पूर्ति हेतु न होकर शुद्ध एवं सात्विक होना आवश्यक है। ऐसा भोजन तन तथा मन दोनों को पवित्र बनाता है। प्राचीन समय से लेकर आज तक प्रचलित भाषा में रसोई घर को चौका कहा जाता है। चौका का अर्थ है चार। चार प्रकार की शुद्धि पूर्वक जो आहार बनाया जाये, वही आहार मुनि आदिक संयमी अतिथियों के लिए योग्य होता है। ऐसे चौके में बना आहार मुनि, आर्यिका, भुल्लक, क्षुल्लिका, प्रतिमाधारी श्रावक, ब्रह्मचारीगण आदि के लिए भक्ति पूर्वक दिया जाए तो उसे आहार दान कहा जाता है। आहार दान
श्रावक के दैनिक कर्तव्यों में से एक है। दान पूजा ही श्रावक का प्रमुख धर्म है। अतएव निवास में रसोई घर या चौका वास्तुशास्त्र के अनुकूल दिशाओं की अपेक्षा रखकर ही निर्माण करना चाहिए। रसोईघर या चौका ऐसा होना चाहिए कि वहां पर मुनि दान परम्परा का भली प्रकार निर्वाह हो सके।
रसोई घर के लिए सर्वश्रेष्ठ दिशा आग्नेय मानी गई है। आग्नेय दिशा में अग्नि तत्व माना जाता है। अशुभ घटनाओं का अग्नि निवारण करती है। अग्नि का कार्य है जलाना या भस्म करना। नियमित रुपेण अग्नि या रसोई घर को आग्नेय दिशा में रखने से घर की सभी आपत्तियां भस्म होती हैं। पृथक