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वास्तु घिन्तामणि
5. नैऋत्य में छत अन्य भाग से अधिक ऊंची तथा भारी बनाएं। छत
झुकावदार छपरी नहीं होना चाहिये। 6. नैऋत्य में खिड़की न बनाएं। अपरिहार्य होने पर खिड़की उत्तरी ईशान में
भी अवश्य बनाना चाहिये। 7. दक्षिण की ओर झुकी छत या छपरी से महिलाओं को कष्ट, पक्षाघात एवं
असाध्य रोग की आशका रहती है। जबकि पश्चिम की ओर की छत
से यही दुख पुरुषों को होने की संभावना रहती है। 8. ईशान दिशा में निर्माण खुला एवं हल्का कराएं जबकि दक्षिण एवं नैऋत्य
में भारी एवं आच्छादित निर्माण कराना चाहिये। 9. नैऋत्य की कम्पाउन्ड वाल को समकोण बनाकर बाहरी भाग किचित
गोल बना सकते हैं। इसका विस्तार न करें। 10. नैऋत्य में सीढ़ियां शुभफल प्रदाता हैं। 11. नैऋत्य का चबूतरा घर के तल से ऊंचा होने पर घर की महिलाओं को
आर्थिक सुदृढ़ता की प्राप्ति होती है। 12. नैऋत्य में बाहरी कमरा या सेवक गृह बनाना शुभ फल प्रदाता है। 13. नैऋत्य के ऊंचे वृक्ष काटना अत्यंत अशुभ है। पत्थरों का ढेर एवं ऊंचे
वृक्ष नैऋत्य में रहना शुभ है। 14. दक्षिणी नैऋत्य में मार्गारम्भ तथा कुंआ हो तो महिलाओं को असाध्य
रोग, आत्महत्या, अकाल मृत्यु की आशंका रहेगी। जबकि पश्चिमी नैऋत्य से मार्गारम्भ एवं कुंआ होने पर यह आशंका पुरुषों के लिए रहेगी।
मार्गारम्भ
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कुआं
सड़क
मागारम्भ
चित्र न.-7