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कान और बाँधरता
१. कान गुणीजनों के गुण एवं गुरुओं का ज्ञान सुनने के लिए हैं, स्वभयंता और परनिन्दा सुनने के लिए नहीं ।
२. बोला भी बोलता भी बोला, जो न सुण्यां गुरुज्ञान !
३. कान में टेटी बाल राखी है।
४. भले कान गो जवानों को सुखाकर खुद कर देते हैं ।
- धनमुनि
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- मारवाड़ी भजनमाला
- राजस्थानी कहावत
- फ्रक लिन
५. भारत मे १ करोड १५ लाख ६० हजार स्कूली बच्चे बहरे हैं। (डा. वाई. पी. कपूर) - नवभारत टाइम्स, २ फरवरी १६६३ ६. बोलो पूछे बोली ने कोई गंधा होली में ।
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७. पंडितजी
पाए लागं तो कहे कपासिया है। पंडितजी मंत्र में हो, तो कहे भड़ीता करने खासुं ।
- राजस्थानी कहावत
(अंगम हाथ में थे)
८. बहरे के प्रश्नोत्तर
चहरा आदमी सुनता तो है नहीं अतः अपने प्रश्नों का उत्तर थड़कर ही विसी से बात करता है |