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अपव्यय-निषेध १. व ला तुबज़ ज़िर तब् जीरन् ऽ० !
--गुराग १७।२६ फिजूल-खर्ची न करो। २. न तो अपना हाय गर्दन से बांध रख और न (फिजूलखर्ची से) उसे बिलकुल खुला फैलादे।
-कुरान १७॥२६ ३. धन कमाने की अपेक्षा खर्च करने में अधिक बुद्धिमत्ता चाहिए । अयोग्य
स्थान में स्त्र करने से धन का दुरुपयोग होता है । ४. किसी भी चीज में पैसा लगाने से पहले अपने आप से दो प्रश्न पूछो
क्या मुझे इस चीज की जरूरत है ? क्या इसके बिना मेरा काम चल सकता है ?
–सिडनी स्मिथ ५. जान मुरेनी को बत्तियां जला कर कुछ लिख रहे थे। दो कार्यकर्ता उनसे कुछ चन्दा लेने आये | आते ही एक बत्ती बुझा दो एवं उन्हें आशातीत चन्दा दिया । बसी बुझाने का कारण पूछने पर बोल-दो बत्तियां लिखने के लिए थीं, आपसे बातचीत एक बत्ती के प्रकामा में भी हो सकती है, व्यथं व्यय करना मेरे सिद्धान्त से विपरीत है।