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________________ २७ ध्यय १. इदमेब हि पण्डित्यं, चातुर्यमिदमेव हि। इदमेव सबद्धित्व-मायादल्पतरो व्ययः ॥ यही पण्डितता, चतुरता और सुत्रुद्धिमना है कि आमदनी से कम खर्च किया जाये। 2. Cul your coat according to your cloth, कट योर कोट एकोइिंग टू योर क्लोथ । --अंग्रेजी कहावत अपनी आमदनी के अनुगार खर्च करो। ३. खर्च व अंदाजे दखल कुन । -पारती कहावत आमदनी को देख कर खर्च । ४. बीस पौंड की आमदनी में यदि खर्च उन्नीस पौंड उनीस सिलिग छः पेन्स है तो सुन्न होगा और मदि बीस पौंड उन्नीस सिलिंग छः पेन्स है तो दुल होगा। -मिकापर ५. आयमनालोचन व्ययमानो वैश्रवणोऽपि श्रमणायत एव । -~-नीतिवाक्यामृत ११० आमदनी को न देखकर खर्च करनेवाला वैश्रवण (कुबेर) भी फकीर हो जाता है। २२५ --
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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