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याचना
१. सेवेव मानमखिलं. ज्यारनेव तमो जरेत्र लावण्यम । हरि-हर कथे व दुन्ति, गुराशतमऽप्यऽथिता हरति ।।
- हितोपदेश १।१३६ जैसे- मेया स्वाभिमान कोः बादली अपनाएको बुढ़ापा खूबसूरती को और हरि-हर की कथा सब पापों को हरती है, वैसे ही याचना
संकड़ों गुणों को हर लेती है। २. विशाखान्ता गता मेधाः, प्रसवान्त हि यौवनम् । प्रशामान्तः सतां कोपो, याचनान्त' हि गौरवम् ।।
-- सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ १६३ जसे विशाखा नक्षत्र के बाद मेघ, प्रसव के बाद स्त्रियों का यौबन और प्रणाम के बाद सत्पुरुषों का क्रोध नष्ट हो जाता है, वैसे ही किसी से कुछ मांगने के बाद गौरव नष्ट हो जाता है । ३. लघुल्बमूल हि किथितं व, गुरुत्वमुलं यदयाचनं च ।
-शङ्कर-प्रश्नोत्तरी १५ लघुता का मूत्र क्या है ? मांगना ।
गुरुता का मूल क्या है : नहीं मांगना । ४, बुरो प्रीति को पंथ, बुरो जंगल को वासो।
बुरो नार को नेह, बुरो रख सों हांसो । बुरी सूम को सेब, बुरो भगिनीघर भाई । चुरो कुलन्छनि नार, सास घर बुरो जमाई ।