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________________ ! १६ कृतज्ञता और कृतज्ञ १. उपकारी का अपराध हो जाने पर उसे क्षमा कर देना कृतक्षता है । २. कृतज्ञता शाब्दिक धन्यवाद से कहीं बढ़कर है और कार्य, शब्दों से अधिक प्रकट करता है । ३. कृतम्नता के बाद सहने में सबसे ज्यादा कष्टप्रद कृतज्ञती है । ४. किसी दार्शनिक को शब्दों की कमी महसूस नहीं कृतज्ञ को ५. प्रथमत्रयसि पीतं तोयमल्पं स्मरन्तः, शिरसि निहितभारा नालिकेरा नराणाम् । उदकममृततुल्यं दद्य - राजीवनान्तं, नहि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति ॥ - लाबेल - एच. डब्ल्यू. बौचर जितनी -कोल्टन - शाकुन्तल नारियल के बचपन में पिये हुए थोड़े से पानी का स्मरण करते हुए वृक्ष जीवनभर अपने सिर पर फलों का बोझा धारण करते हैं एवं मनुष्यों को अमृततुल्य जल देते रहते हैं, क्योंकि सत्पुरुप किए हुए उपकार को कभी नहीं भूला करते । ६. कृतज्ञ शेर - अपराधी गुलाम निकल भागा। उसने गुफा में कराहते हुए शेर का काँटा निकाला। सिपाहियों ने गुलाम और शेर दोनों को पकड़कर हाजिर किया । बादशाह ने गुलाम को मारने के लिए शेर के पिंजरे में डाला । कृतज्ञ शेर ने अपने उनकारी को नहीं मारा ! १३९ ¤
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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