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________________ गर १६ उपकार (अहसान) १. सहयोगदानभुपकारः, लौकिको लोकोतरश्च । —जैनसिद्धान्तदीपिका ६।१६-२० किसी को सहयोग देने का नाम उपकार है, वह दो प्रकार का हैलौकिक और लोकोत्तर । भौतिक सहायता देना तौकिक उपकार है और आरिमकसहायता अर्थात् धर्मोपदेश एवं निबद्मदानादि द्वारा सहायता देना लोकोत्तर उपकार है । २. नीचेपूरकृतं उदके विशीर्णं लवणमिव । -नीतिशाक्यामृत १११४३ नीचों का उपकार करना जल में लवण डालने के तुल्य है । ३. उपकृत्योदघाटनं वैरकरणमिव । ...-नीतिवाक्यामृत ११०४७ उपकार करके कहना, वर करने के बराबर है । ४. जिसने कुछ अहसा किया, एक बोझ हम पर रख दिया । सिर से तिन का क्या उतारा, सर पे छप्पर रख दिया । चकबस्त ५. तलवार मारे एक बार, अहसान मारे बार-चार । -हिन्वी कहावत १२६
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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