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गर
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उपकार (अहसान)
१. सहयोगदानभुपकारः, लौकिको लोकोतरश्च ।
—जैनसिद्धान्तदीपिका ६।१६-२० किसी को सहयोग देने का नाम उपकार है, वह दो प्रकार का हैलौकिक और लोकोत्तर । भौतिक सहायता देना तौकिक उपकार है और आरिमकसहायता अर्थात् धर्मोपदेश एवं निबद्मदानादि द्वारा सहायता देना लोकोत्तर उपकार है । २. नीचेपूरकृतं उदके विशीर्णं लवणमिव ।
-नीतिशाक्यामृत १११४३ नीचों का उपकार करना जल में लवण डालने के तुल्य है । ३. उपकृत्योदघाटनं वैरकरणमिव ।
...-नीतिवाक्यामृत ११०४७ उपकार करके कहना, वर करने के बराबर है । ४. जिसने कुछ अहसा किया, एक बोझ हम पर रख दिया ।
सिर से तिन का क्या उतारा, सर पे छप्पर रख दिया ।
चकबस्त
५. तलवार मारे एक बार, अहसान मारे बार-चार ।
-हिन्वी कहावत
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