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________________ मनुष्य१. मला हिताहितं ज्ञात्वा कार्याणि सीव्यन्तीति मनुष्याः 1 अपने हित-अहित को समझकर काम करते हैं, इसलिए मनुष्यों का नाम मनुष्य है। २. यो वै भुमा तदमृतं, अथ यदल्पं तद् मय॑म् । -छांदोग्योपनिषद्, ७५२४ जो महान है, यह अमत है—शाश्वत है और जो लघु है, वह मस्यं है--विनाशशील है (मत्यं नाम मनुष्य का है)। ३. पात्रे त्यागी गुरणे रागी, भोगी परिजनः सह । शास्त्रे बोद्धा रणे योद्धा, पुरुषः पञ्च लक्षणः ।। -सुभाषितरत्नभाण्डागार, पृष्ठ १४८ (१) पात्र को देनेवाला, (२) गुणों का अनुरागी, (३) परिजनों के साथ वस्तु का उपभोग करनेवाला, (४) शास्त्रज्ञ, (५) युद्ध करने में बीर । पुरुष के ये पाँच लक्षण हैं । ४. मनुष्य का मापदण्ड उसकी सम्पदा नहीं, अपितु उसकी बुद्धिमत्ता है। -टी. एन. पास्वानो ५. हर आदमी की कीमत उतनी ही है, जितनी उन चीजों की है, जिनमें वह संलग्न है । -आरिलियस
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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