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पांचवां भाग : तीसरा कोष्ठवा
पिलाया | वह
मेवाडनाथ पधारे हैं फिर प्रताप को दूध बुढ़िया मिकोतरी श्री अतः विद्या से घोड़ी बनकर प्रताप
का अकबर के ढेर में ले गई। राजा ने तलवार उठाई।
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当り
आवाज आई - "ॐ हूँ" राशी ने पूछा कौन ? उत्तर मिला
वीर हूं। फिर दाढ़ी और मूंछ काटकर ले आयें। उसके बाद फिर अकबर ने मेवाड़ बना छोड़ दिया ।
- उदयपुर में श्रुत ६. रुई का फुआं-चुरू में हीरालालजी यति नेावकों का अतिआग्रह देखकर मन्त्र पढना शुरू किया । ३०-४० आदमी चमत्कार देखने के लिए बैठे थे। पहले एक रुई का फुलां आकर गिरा । चन्दही क्षणों में बहु फुआं बालक, जवान एवं दाड़ीवाला बूढ़ा बन गया । दर्शक सारे मूर्च्छित हो गए । फिर यति जी ने मत्रित खून का छोटा डालकर उस उन को बांत किया।
कहा जाता है कि दर्शकों में से दो तो मर गये और एक (मुखलाल बरडिया के पिता चार दिन के बाद सचेत हुये ।
- सुखलाल वरड़िया से भूत
१०. यतिजी का पत्र-पटियाला - महाराज ने सुनाम के यति से पूछा- मैं कौन से मार्ग से निकलूंगा ? यतिजी ने एक पत्र लिखा और उसे बन्द करके उन्हें दे दिया। राजा यतिजी को झूठा करने के लिए शहरपनाह की दीवार को फोड़कर बाहर निकला और एक वृक्ष की डाली पकड़कर वह