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वक्तृत्वकला के बीज
कवि पद्यों को बनाता है और उत्तम व्यक्ति उन्हें लाता है। जैसे - वृक्ष पुष्पों को उत्पन्न करता है और हवा उनकी सुरभि को फैलाती है ।
८. संग्रामेषु भटेन्द्राणां कवीनां कविमण्डले ।
दोतिर्वा दीप्तिहानिर्वा, मुहूर्तेनैव जायते ||
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भोजप्रबन्ध १५०
सुभटों का संग्राम में और कवियों की कवि समूह में शोभा या कुशोभा मुहूर्तमान में ही हो जाती है ।
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