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सामायिक का प्रभाव १. गीदड़बाहा का एक जनश्रावक मानसामंडी से १८ हजार
रुपये लेकर बस में जा रहा था ! डाकू मिले और बोले दिखाओ सब अपना-अपना सामान ! श्रावक ने मुंहपत्ति पूंजनी एवं माला दिखाकर कहा- मेरे सामयिक का नियम है । डाकू बोले- मुंहापट्टिए का चेला है । ये साधु अच्छे होते हैं, यों कहकर धावक को छोड़ दिया-अन्य सभी को लूट कर धन-माल ले गये। उदयमाव सुराना का पन्ने का कंठा एक आदमी ले गया । समता रखी। फिर सामायिक करते समय एक दिन वापिस पहना गया । डाकू आनेवाले थे, घर के सब द्वार खोलकर सेठ ने सपरिवार सामायिक ले लिया। साधु समझकर डाकू वापस दौट गये।
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