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१
कला के बीज
२
बार प्रकार के कई है--- दर्पण-समान-साधु के बताये हुए तत्व को यथावत् प्रतिपादन करनेवाले |
पताका-समान-बजावत् हवा के साथ इधर-उधर खींचे जानेवाले अग्रिमस्ति के ।
३ स्थाणु-समान-सूखे लकड़े की तरह कठोर — अपना कदाग्रह नही छोड़नेवाले |
कण्टक-समान-समझाने पर भी न मानकर कुवश्चम रूप-काँटा भानेवाले
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