________________
संस्कृत-स्नेही संसार के लिए अपूर्व उपहार 11
आदर्श हिन्दी-संस्कृत-कोशः (सम्पादक-मो० रामसरूप म० ए० (संस्कृत, हिन्दी ), विद्यावाचस्पतिः । शास्त्री, प्रभाकर; पूर्व-प्राध्यापक डीए० दी. कालेज, लाहौर; प्राध्यापक, सराय कालेज, दिल्ली; सदस्प आटम पकली, दिहा विश्वविद्यालय, दिली) ।
राष्ट्रभाष के माध्यम से देववाणी का अध्ययनाध्यापन करने कराने वाले .. विद्यार्थियों तया प्रगान मे लिए सम प्रमाणिक हिन्दी संस्कृत सोश ह. अनिवार्यता स्वतः सिर ही है। तयापि आज तक इस प्रकार के कोश की बाजार में अनुपविर का कारण था पराधीन राष्ट्र की स्व-संस्कृति की भाषा संस्कृत के प्रति निन्दनीय उपेक्षा । स्वराज्य प्राति के पश्चात् राष्ट्र-प्रेमियों का भ्यान घिस्मृतप्राय संस्कृति की और भी गया है और अब उसमें नवीन प्राणप्रतिष्ठा के तुम उद्योग से हो रहे हैं। निकट भविष्य में ही वह म्यक्ति सुनिश्चित रूप में प्रभारतीय और भसंस्कृत सममा आयगा जो संस्कृत-गान में हित होगा । अत्यन्त हर्ष का विषय है कि हिन्दीमाता और संस्कृतमान के इच्छुक लोगों के लिए यह ऐसा प्रामाणिक कोश तैयार हुभा है जिसकी सहायता से प्रत्येक व्यकि सहज हो संस्कृत सीख सकेगा। इस कोश में लगभग चालीस सहन हिन्दी हिन्दुस्तानी शब्दों तथा मुहावरों के विश्वसनीय संस्कृत पर्याय दिये गये हैं। प्रत्येक शब्द का लिंगनिर्देश भी किया गया है। हिन्दी क्रियापट के संस्कृत धातुओं के गण, पद, सेट, अनिट् , वेट् , णिजन्त आदि के रूप भी दिये गये हैं। कोश के संपादक हिन्दी-संस्कृत के प्रख्यात विद्वान व लेखक हैं । इनकी दर्जनों हिन्दी संस्कृत रचनाओं से विद्यार्थि-जगत सुपरिचित ही है। बेश की उपयोगिता पर दा सूर्यकान्त शाली. श्री विश्वन्धु शास्त्री, महामहोपाध्याय श्री परमेश्वरानन्द शास्त्री, प्रादि भादि विद्वानों ने अपनी-अपनी अमूल्य सम्मलियाँ प्रदान की हैं।
छपाई गेट अप भादि माधुनिकतम । मूल्य लागत मान १२॥)