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सोचे-समझे आपसे युद्ध करने लगी। एक साधु ने मुझे बहुत दिन पहले कहा था कि जो तेरे पिता की हत्या करेगा वही तेरा पति होगा। अतः आपके वशीभूत मुझे आप ग्रहण करें । समस्त संसार में आप-सा वीर कोई नहीं है। इसीलिए आप जैसे पुरुष की पत्नी बनकर स्त्रियों में मैं स्वाभिमानपूर्वक रहूंगी।' ऐसा कहकर माथा नीचा किए वह शान्त रूप में खड़ी रही। प्रसन्न होकर सानुराग हनुमान ने भी उस विनयशीला कन्या के साथ गान्धर्व विवाह कर लिया।
(श्लोक २७६-२८०) उसी समय सूर्य पश्चिम समुद्र में जाकर डूब गया। मानो आकाश रूपी अरण्य में विचरण करते-करते क्लान्त होकर वह स्नान करने के लिए समुद्र में उतर गया। पश्चिम दिशा का उपभोग करते हुए सूर्य ने मानो सन्ध्या मेघ के बहाने उसके वस्त्र छीन लिए। पश्चिम दिशा में अरुण मेघ को देखकर लगा मानो अस्त होते समय सूर्य ने अपना तेज वहां छोड़ दिया है। मेरा परित्याग कर नवीन अनुरागी सूर्य अब नवीन अनुरागिनी पश्चिम दिशा के साथ केलि के लिए गया है सोचकर ग्लानि से पूर्व दिशा म्लान हो गई। क्रीड़ा स्थल का परित्याग करने के दुःख से कोलाहल के रूप में पक्षी क्रन्दन करने लगे। पति के दूर रहने पर रजस्वला स्त्रियां जिस प्रकार दुःखी हो जाती है उसी प्रकार चकवी पति-वियोग में दुःखी हो गई। पति-वियोग में पतिव्रता स्त्री जैसे म्लानमुखी हो जाती है उसी प्रकार सूर्य रूपी पति के अस्त हो जाने से पद्मिनी म्लान हो गई। सान्ध्य समीर में पुलकित और ब्राह्मणों द्वारा पूजित गायें अपने बछड़ों से मिलने की उत्कण्ठा में वन से बस्ती की ओर दौड़ने लगी। सूर्य ने अस्त होते समय राजा जैसे युवराज को राज्य अर्पण करते हैं उसी प्रकार अपना तेज अग्नि को दे दिया। नगर नारियों ने जब दीप जलाए तो लगा मानो तारे और नक्षत्रों की शोभा उन्होंने चुरा ली है या यह कहो कि वे ही नक्षत्र पंक्तियाँ हैं। सूर्य के अस्त होने पर भी चन्द्रमा उदित नहीं हुआ अतः उसी अवसर पर अन्धकार चारों ओर छा गया। दुष्ट पुरुष छल करने में बड़े चतुर होते हैं। पृथ्वी और आकाश रूपी पात्र अन्धकार से भर गया मानो अंजन गिरि के चर्ण से अथवा अंजन से उसे भर दिया गया है। उस समय जल-स्थल दिशा और