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________________ 158] मस्तक अज्ञानवश कट गया । विभीषण ने रात्रि का यह सारा वृत्तान्त सुना । अतः रावण के पास जाने के पूर्व वह सीता के पास गया और पूछा, 'भद्र े, तुम कौन हो ? किसकी पत्नी हो ? कहाँ से आई हो ? यहाँ तुम्हें कौन लाया है ? सब कुछ मुझे निडर होकर बताओ ? कारण मैं पर स्त्री के लिए सहोदर तुल्य हूं ।' ( श्लोक १४९ - १५० ) उसे मध्यस्थ समझकर नीचा मुख किए सीता बोली, 'मैं राजा जनक की कन्या हूं और विद्याधर भामण्डल मेरा भाई है । रामचन्द्र मेरे पति हैं । राजा दशरथ की मैं पुत्रवधू हूं, मेरा नाम सीता है । अनुज सहित मेरे पति दण्डकारण्य में आए थे। मैं भी उनके साथ आई थी । वहाँ मेरे देवर ने एक दिन घूमते हुए आकाश स्थित एक खड्ग देखा। कौतुकवश उन्होंने वह खड्ग हाथ में ले लिया और उसकी धार की परीक्षा करने के लिए समीप के वंशजाल को छेद डाला । परिणामतः वंशजाल में स्थित खड्ग के साधक का (श्लोक १५१-१५४) 'युद्ध की इच्छा नहीं रखने वाले निरपराध व्यक्ति की हत्या मेरे हाथों से हो गई, यह बहुत निकृष्ट कार्य हो गया।' इसी प्रकार अनुताप करते हुए वे राम के पास आए। इसके थोड़ी देर बाद ही मेरे देवर के पदचिह्नों का अनुसरण करती हुई उस खड्ग की कोई उत्तर - साधिका क्रुद्ध होकर हमारे पास आई । इन्द्र से अद्भुत रूपवान् मेरे पति को देखकर काम पीड़ित उसने मेरे पति से क्रीड़ा करने की प्रार्थना को । मेरे पति के अस्वीकार करने पर वह वहाँ से चली गई और एक वृहद् राक्षस सेन्य लेकर लौटी । 'संकट पड़ने पर सिंहनाद करोगे' राम की इस अनुज्ञा को स्वीकार कर लक्ष्मण युद्ध करने चले गए । कोई राक्षस मिथ्या सिंहनाद कर मेरे पति को दूर ले गया । तदुपरान्त निकृष्ट मनोभिलाषी अपनी मृत्यु की इच्छा से रावण मुझे हरण कर यहाँ ले आया ।' (श्लोक १५५ - १५९ ) सीता की बात सुनकर विभीषण रावण के पास गया और प्रणाम कर बोला, 'हे स्वामी, आपने हमारे कुल को कलङ्कित करने वाला कार्य किया है । राम-लक्ष्मण जानकी के लिए यहाँ आएँ उसके पूर्व ही आप जानकी को लौटा दीजिए ।' विभीषण की बात सुनकर रक्तिम चक्षु रावण बोला, 'अरे ओ डरपोक, यह क्या कहता है ? तू मेरे पराक्रम को भूल गया है क्या ? अनुनय-विनय से
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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