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________________ [125 बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं से सुशोभित विविध प्रकार के पदार्थों से पूर्ण एक नगरी का निर्माण किया और उसका नाम रखा रामपुरी । प्रातःकाल राम मङ्गल-ध्वनि सुनकर जागे और वीणाधारी यक्ष एवं समस्त समृद्धिपूर्ण नगरी को देखा। अकस्मात् निर्मित उस नगरी को देखकर राम चकित हो गए। विस्मित राम से यक्ष बोला, 'हे स्वामी, आप हमारे अतिथि हैं। मैं गोकर्ण यक्ष हं। आपके लिए इस नगरी का निर्माण किया है। आप जब तक यहाँ रहेंगे उतने दिनों तक अनुचर सहित मैं आपकी सेवा करूंगा। आप इच्छानुसार सानन्द यहीं रहें। उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर राम सौमित्र और सीता सहित यक्ष के अनुचर द्वारा सेवित होते हुए सुखपूर्वक वहाँ निवास करने लगे। (श्लोक १३७-१४३) एक बार कपिल ब्राह्मण हाथ में कुल्हाड़ी लिए समिधा-संग्रह के लिए इसी महारण्य में पहुंचा। वहाँ नई नगरी बसी हुई देखकर चकित बना सोचने लगा-यह माया है या इन्द्रजाल या कोई गन्धर्वपुर है ? वह जब इस प्रकार सोच रहा था तभी एक सुन्दर वस्त्राभूषणों से सुसज्जित मानवी रूप एक यक्षिणी को देखा । कपिल ने उससे पूछा, 'यह नवीन नगरी किसकी है ?' उसने उत्तर दिया, राम, सीता और लक्षण के लिए इस नवीन नगरी का निर्माण गोकर्ण यक्ष ने किया है। इसका नाम रामपूरी है। यहाँ दयानिधि राम दीनों को दान देते हैं। जो भी दुःखीजन यहाँ आते हैं कृतार्थ होकर यहाँ से लौटते हैं।' (श्लोक १४४-१४२) __ यह सुनकर कपिल समिधा का बोझ एक ओर फेंककर उसके चरणों में गिर पड़ा और पूछा कि वह कैसे राम से मिल सकता है? यक्षी बोली-'इस नगरी के चार द्वार हैं। प्रत्येक द्वार पर यक्ष द्वारपाल की तरह खड़े होकर नगरी की रक्षा करते हैं । अतः भीतर जाना कठिन है; किन्तु इसके पूर्व द्वार पर एक जिन चैत्य है। वहाँ जाएँ। श्रावक बनकर यथाविधि वन्दना कर नगरी की तरफ जाने पर ही नगर में प्रवेश कर सकते हैं। धनलोलप कपिल साधुओं के पास गया । उनकी वन्दना कर उनका उपदेश सुना । वह लघुकर्मी था। अतः तत्काल ही वह धर्मोपदेश के प्रभाव से शद्ध श्रावक हो गया। फिर घर जाकर अपनी पत्नी को लाया और
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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