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[१६७ प्राप्त किया। ऊतथ्य पत्नी ममता ने जैसे बृहस्पति के औरस से एक पुत्र प्राप्त किया, उसी प्रकार रेणुका ने अनन्तवीर्य के औरस से एक पुत्र प्राप्त किया। जमदग्नि ने उस पुत्र सहित रेणुका को ग्रहण किया कारण स्त्रैण व्यक्ति पत्नी का दोष नहीं देख पाता; किन्तु परशुराम क्रु द्ध होकर द्राक्षालता में जिस प्रकार असमय में फल लगने पर उसे काटकर फेंक दिया जाता है उसी प्रकार रेणुका
और उसके पुत्र को काट कर फेंक दिया। रेणुका के पति ने जब यह बात अनन्तवीर्य से कही तब हवा से जैसे अग्नि उद्दीप्त हो जाती है वैसे ही वे क्रोध से उद्दीप्त हो गए। अनन्तवीर्य जिसका पराक्रम असहनीय था जमदग्नि के आश्रम में गए और मतवाले हाथी की तरह उस आश्रम को विनष्ट कर लौट गए। आश्रमवासी भयभीत होकर चारों ओर भाग गए और अनन्तवीर्य आश्रम की गौएँ आदि पशु लेकर सिंह की तरह धीरे-धीरे राजधानी की ओर अग्रसर होने लगे । त्रस्त आश्रमवासियों से जब परशुराम को यह सवाद मिला और उनकी दुर्दशा जब उन्होंने अपनी आँखों से देखी, तब ऋद्ध होकर यम की भांति दौड़ा और परशु विद्या द्वारा सैन्य सहित राजा अनन्तवीर्य को काट-काटकर टुकड़े-टुकड़े कर डाला।
(श्लोक ५९-६९) ___ कृतवीर्य शक्तिशाली होने पर भी उस समय बालक था । अतः मन्त्रीगण उसे सिंहासन पर बैठाकर राज्य शासन करने लगे। कृतवीर्य भी क्रमशः बड़ा होकर अपनी पत्नी तारा के साथ समय व्यतीत करने लगा।
(श्लोक ७०-७१) राजा भूपाल का जीव अपनी आयुष्य पूर्ण कर महाशुक्र विमान से च्युत होकर तारा के गर्भ में प्रविष्ट हुआ । तारा ने चौदह महास्वप्न देखे । अपनी माँ से पिता की मृत्यु का रहस्य अवगत कर कृतवीर्य जमदग्नि के आश्रम में गया और सर्प की तरह उसकी हत्या कर दी। परशुराम पिता की हत्या से क्रुद्ध होकर हस्तिनापुर दौड़ा और कृतवीर्य की हत्या कर डाली। भला यम से कौन रक्षा पा सकता है। तब परशुराम ने हस्तिनापुर राज्य पर स्वयं को प्रतिष्ठित किया। कारण, राजशक्ति पराक्रम के अधीन है, उत्तराधिकार या उत्तराधिकार के अभाव का सापेक्ष नहीं है । तारा के गर्भवती होने पर भी हरिणी जैसे व्याघ्र संकुल अरण्य का परित्याग