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अनुक्रम
द्वितीय पर्व
प्रथम सर्ग-अजितनाथ का प्रथम व द्वितीय भव
1-21
द्वितीय सर्ग-तृतीय भव, तीर्थंकर एवं सगर चक्रवर्ती की
माताओं के चौदह स्वप्न, फल, दोनों का जन्म और जन्मोत्सव ।
21-54
तृतीय सर्ग-दोनों की बाल्यावस्था, यौवन, रूप, विवाह,
राज्य प्राप्ति, त्याग, सगर को राज्य प्राप्ति, अजितनाथ की दीक्षा, केवलज्ञान, देशना, तीर्थस्थापना ।
55--112
चतुर्थ सर्ग - सगर की पट्खण्ड विजय और चक्रवर्ती-पदप्राप्ति 113-134
पंचम सर्ग-सगर और भगवान के प्रश्नोत्तर, राक्षसवंश
सगर पुत्रों की यात्रा. अष्टापद, सगर-पुत्रों का मरण ।
135-145
षष्ठ सर्ग-इन्द्र का ब्राह्मण बनकर सगर की राज्यसभा में
जाना, सगर का शोक, उपदेश, भागीरथ का गङ्गा को समुद्र में डालना, सगर की दीक्षा पौर मुक्ति, अजितनाथ का परिवार, निर्वाण व निर्वाण-महोत्सव ।
146-187