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________________ [49 नमस्कार कर कुछ पीछे हटकर हाथ जोड़कर दास की तरह प्रस्तुत होकर उपासना करने लगे। (श्लोक ४७९-४८१) . सौधर्म देवलोक के इन्द्र की तरह ईशान कल्प के इन्द्र ने भी अत्यन्त भक्ति सम्पन्न अपनी देह से पांच रूप धारण किए । एक रूप से अर्द्धचन्द्राकृति अति पाण्डुकवला नामक शिला पर ईशान कल्प की तरह सिंहासन पर बैठे। जिन-भक्ति में प्रयत्नशील उन्होंने प्रभु को शकेन्द्र की गोद से अपनी गोद में इस प्रकार लिया जिस भांति किसी को एक रथ से दूसरे रथ में लिया जाता है । द्वितीय रूप से उन्होंने प्रभु के मस्तक पर छत्र धारण किया। तृतीय और चतुर्थ रूप से वे प्रभु के दोनों ओर चँवर लेकर इलाने लगे और पञ्चम रूप से हाथ में त्रिशूल लेकर जगत्पति के सम्मुख खड़े हो गए। उस समय उदार प्राकृति सम्पन्न प्रतिहारी की तरह खूब सुन्दर लग रहे थे। तदुपरान्त उसी ईशान कल्प के इन्द्र ने अपने प्राभियोगिक देवतानों द्वारा तत्क्षण अभिषेक के उपकरण मंगवाए। उन्होंने भगवान् के चारों ओर मानो स्फटिक मरिण के द्वितीय पर्वत हों इस प्रकार स्फटिकमय चार वृषों का निर्माण किया । उन चार वृषभों के पाठ शृगों से चन्द्रमा की उज्ज्वल किरणों-सी जल की पाठ धारा निकली। वे धाराएं ऊपर ही मिलकर जगत्पति के के समुद्र समान मस्तक पर गिरने लगीं। इस प्रकार उन्होंने अन्य प्रकार से प्रभु का अभिषेक किया क्योंकि शक्तिमान पुरुष कवि की तरह विभिन्न प्रकार की रचना से, भाव-भंगिमा से स्वयं को प्रकट करते हैं। अच्युतेन्द्र की तरह उन्होंने भी मार्जन, विलेपन, पूजा, अष्टमंगल, आलेखन एवं प्रारती आदि विधिपूर्वक की। फिर शक्रस्तव से जगत्पति को वन्दना-नमस्कार कर प्रानन्द से गद्गद् स्वर में इस प्रकार स्तुति की (श्लोक ४८२-४९३) हे त्रिभुवन नाथ, विश्ववत्सल, पुण्यलता को उद्गत करने में नवीन, मेघतुल्य हे जगत्प्रभो, आपकी जय हो । हे स्वामी ! जिस प्रकार पर्वत से नदी-धारा निकलती है, पृथ्वी को प्रसन्न करने के लिए आप विजय नामक विमान से अवतरित हुए हैं। मोक्ष रूपी वृक्ष के मानो बीज हों ऐसे उज्ज्वल तीन ज्ञान (मति, श्रुत, अवधि) जल की शीतलता की तरह प्रापको जन्म से ही प्राप्त हैं। हे त्रिभुवनेश्वर, दर्पण के प्रतिबिम्ब की तरह जो आपको हृदय में
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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