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________________ 42] जाता है उसी प्रकार समस्त देवता ईशान पर्वत के निकट गए । फिर हाथ में त्रिशूल लेकर अनेक रत्नों के अलङ्कार धारण से चलमान रत्न पर्वत तुल्य श्वेत वस्त्रधारी पुष्पमाल पहने हुए वृहद् वृषभ के वाहन युक्त सामानिक आदि करोड़ों देवताओं द्वारा सेवित उत्तरार्द्ध स्वर्ग के अधिपति ईशानेन्द्र ने पुष्पक नामक विमान में बैठ कर दक्षिण दिशा के ईशान कल्प के पथ से परिवार सहित प्रस्थान किया । अल्प समय के मध्य ही वे प्रसंख्य द्वीप समुद्रों का प्रतिक्रम करते हुए नन्दीश्वर द्वीप श्रा पहुँचे। वहां उन्होंने ईशान कोण के रतिकर पर्वत पर स्व विमान को हेमन्त ऋतु के दिन की तरह छोटा किया । फिर और समय नष्ट न कर क्रमशः विमान को छोटा करते हुए शिष्य की तरह नम्र होकर मेरुपर्वत स्थित प्रभु के पास श्रीए । (श्लोक ३५३-३६७) फिर सनत कुमार, ब्रह्म, शुक्र और प्रारणत स्वर्ग के इन्द्र ने भी सुघोषा घण्टा बजाकर नैगमेषी देव द्वारा देवों को सन्देश दिया । देव प्राए । वे उनके साथ विमान में बैठकर शक्रेन्द्र की तरह उत्तर दिशा को राह से नन्दीश्वर द्वीप प्राएं और वहां अग्निकोण के रतिकर पर्वत पर अपने विमान को छोटा कर उसी क्षरण वहां से मेरु पर्वत पर इन्द्र की गोंद में स्थित प्रभु के निकट पहुँचें और चन्द्र के पास जिस प्रकार नक्षत्र रहता है उसी प्रकार वहां स्थित हो गए । (श्लोक ३६८ - ३७०) माहेन्द्र, लान्तक, सहस्रार और प्रच्युत नामक इन्द्र ने भी महाघोषा घण्टा बजवाकर लघु पराक्रम सेनापति द्वारा देवतात्रों को बुलवाया । उनके साथ विमान में बैठकर ईशानेन्द्र की तरह वे भी दक्षिण मार्ग से नन्दीश्वर द्वीप श्राए और वहीं ईशान कीरण के रतिकर पर्वत पर विमान को छोटा कर जिस प्रकार पथिक वन के पुष्पित और फलों के भार से झुके वृक्ष की ओर जाते हैं उसी प्रकार मेरुपर्वत पर प्रभु के निकट जा पहुँचे । (श्लोक ३७१-३७३) उसी समय दक्षिण श्रेणी के अलङ्कार तुल्य चमर-चंचा पुत्री में सुधर्मा सभा के मध्य चरमेन्द्र का श्रासन कम्पित हुआ । वे अवधिज्ञान से तीर्थङ्कर के पवित्र जन्म से अवगत हुए । सिंहासन से उठकर सात-आठ कदम तीर्थंङ्कर के जन्मस्थान की दिशा में श्रागे बढ़े और उनकी वन्दना की। उनकी प्रज्ञा से तभी दुम नामक पैदल वाहिनी के सेनापति ने सुस्वरयुक्त श्रीधस्वर नामक घण्टा
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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