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________________ 152] इस अपशकुन से मेरा हृदय तीरबद्ध-सा और अधिक व्यथित हो गया । मैं खिन्न हो गया। मैंने चुगलखोर की तरह घर में प्रवेश किया। मुझे पाते देख मेरी पत्नी जिसके बाल अस्त-व्यस्त होकर बिखरे हुए थे, हा पुत्र ! हा पुत्र ! कहकर रोते-रोते धरती पर गिर पड़ी। उसकी वह दशा देखकर मैं समझ गया कि मेरा पुत्र मर गया है । मैं भी शोकावेग में प्राण रहित मनुष्य की तरह जमीन पर गिर पड़ा। जब मेरी चेतना लौटी तब करुण कण्ठ से विलाप करता हुप्रा घर के चारों ओर देखने लगा। तब मुझे मेरा मृत पुत्र दिखाई दिया। उसे साँप ने काट लिया था। मैं आहार निद्रा सब कुछ भूलकर समस्त रात्रि उसी के पास शोकमग्न बैठा रहा। उसी समय मेरी कूलदेवी पाकर बोली-वत्स, पूत्र-शोक में तुम इतने व्याकूल क्यों हो ? यदि तुम मेरी बात मानो तो मैं तुम्हारे पुत्र को जीवित कर सकती हूं। मैं करबद्ध होकर बोला-हे देवी, आप जो कहेंगी मैं वही करूंगा। कारण, पुत्र-शोक से दु:खी व्यक्ति क्या नहीं करता। (श्लोक ९०-१०४) तब देवी बोली-जिसके घर आज तक कोई नहीं मरा उसके घर से शीघ्र जाकर मांगलिक अग्नि ले प्रायो। (श्लोक १०५) तब से पुत्र को बचाने के लिए प्रत्येक घर में पूछता रहा हूं और सर्वत्र उपहासास्पद होकर भ्रान्त बना भटक रहा है । जिस घर में भी जाकर पूछता हूँ उसी घर के लोग असंख्य लोगों को मृत्यु की बात सुनाते हैं। आज तक ऐसा कोई घर नहीं मिला जहाँ कोई मरा नहीं हो। इससे पाशाहीन होकर मृतक की भाँति नष्ट बुद्धि मैंने दीन-कण्ठ से देवी को जाकर सारी बात सुनाई । कुलदेवी ने कहा-यदि एक घर भी पूर्ण मंगलमय नहीं है तब तुम्हारा अमंगल मैं किस प्रकार दूर करूं ? (श्लोक १०६-१०९) देवी का कथन सुनकर बांस की लाठी की तरह मैं प्रत्येक ग्राम, प्रत्येक नगर घूमते हुए यहाँ आया हूँ। हे राजन्, पाप समस्त पृथ्वी के रक्षक हैं। बलवानों के नायक हैं। प्राप जैसा अन्य कोई नहीं। वैताढय पर्वत के दुर्ग स्थित दोनों श्रेणियों में रहने वाले विद्याधर भी आपकी आज्ञा को माला की तरह धारण करते हैं, देव भी सेवक की भांति आपकी आज्ञा का पालन करते हैं । नवनिधि भी सदैव आपको ईप्सित वस्तु दान करती है। दीनों को आश्रय देना आपका सर्वदा का व्रत है । मैं आपकी शरण में आया
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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