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________________ 118] प्रत्यंचा ध्वनि को सुना। संपेरा जिस प्रकार विवर से सर्प को खींचकर निकालता है उसी प्रकार उन्होंने एक भयङ्कर तीर तूणीर से निकाला। उस तीर को प्रत्यंचा पर प्रारोपित कर सूचना देने आए सेवक की तरह उसे कान तक खींचकर इन्द्र जैसे पर्वत पर वज्र निक्षेप करता है उसी प्रकार वरदामपति के आवास की ओर निक्षेप किया। सभा में बैठे वरदामकुमार के सम्मुख वह तीर इस प्रकार गिरा मानो किसी ने मुद्गर का आघात किया हो। इस असमय में किसकी मृत्यु निकट प्रा गई है ? कहते हुए वरदामपति ने उठकर तीर हाथ में ले लिया। उस पर राजा सगर का नाम देखकर वह इस प्रकार शान्त हो गया जिस प्रकार नागदमनी औषध देखकर सर्प शान्त हो जाता है। तब वह अपने सभासदों को कहने लगा-जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में सगर नामक द्वितीय चक्रवर्ती उत्पन्न हुए हैं। गृहागत देवताओं की तरह विचित्र वस्त्रों और महामूल्यवान रत्नालङ्कारों से यह चक्रवर्ती हमारे लिए पूजनीय है। (श्लोक ९०-१०१) उसी क्षण उपहार द्रव्य लेकर रथ में बैठकर वे चक्रवर्ती के सम्मुख आए और उन्होंने अन्तरिक्ष में खड़े रहकर भण्डारी की तरह रत्नों का मुकुट, मुक्ता की माला, बाजबन्द, कड़ा आदि चक्री को उपहार स्वरूप दिए। तीर भी लौटा दिया और कहा-पाज से इन्द्रपुरी जैसा हमारा देश और हम अापके प्राज्ञाकारी बनकर वरदाम तीर्थ के अधिकारी की तरह रहेंगे। (श्लोक १०१-१०४) कृतज्ञ चक्रवर्ती ने उनसे उपहार की वस्तुएं लेकर उनका कथन स्वीकार करते हुए उन्हें ससम्मान विदा किया । (श्लोक १०५) ___जल के अश्व को देखकर जिनके रथ के अश्व हिनहिना रहे थे वे चक्रवर्ती चक्र के मार्ग का अनुसरण करते हुए स्व-स्कन्धावार में आए। स्नान और जिनपूजा कर अष्टम तप का पारणा किया। तदुपरान्त वरदामकुमार का बड़ा अष्टाह्निका महोत्सव किया। कारण ईश्वर अपने भक्तों का सम्मान बढ़ाते हैं । (श्लोक १०६-१०८) वहाँ से चक्ररत्न के पथ पर उस पृथ्वीपति ने सैन्य के पदरज से सूर्य को प्रावृत्त कर पश्चिम दिशा की ओर प्रयाण किया। गरुड़ जिस प्रकार अन्य देश के पक्षियों को उड़ा देता है उसी प्रकार द्रविड़ देश के राजाओं को प्रताड़ित कर, सूर्य जैसे उल्लमों को अन्ध कर देता है उसी प्रकार प्रान्ध्र के राजानों को अन्ध कर,
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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