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________________ 114] किया । नगर- सीमा की देवी की तरह सभी नगरवासियों ने महा धूमधाम से चक्ररत्न का पूजन - महोत्सव किया । ( श्लोक १२-२७ ) दिग्यात्रा के मानस ने चक्ररत्न प्रकट किया हो इस भाँति उत्सुक होकर राजा अपने महल में गए और ऐरावत हस्ती जिस प्रकार गङ्गा में स्नान करता है उसी प्रकार स्नानगृह में जाकर पवित्र जल से स्नान किया । फिर रत्न-स्तम्भ की तरह दिव्य वस्त्रों से स्व-शरीर को परिष्कृत कर राजा सगर ने उज्ज्वल दिव्य वस्त्र धारण किए । गन्ध द्रव्य वहनकारिणियों ने श्राकर चन्द्रिका रत्न-से निर्मल गो- शीर्ष चन्दन के रस से राजा का प्रङ्गराग किया । शरीर में चन्दन का विलेपन किया । तदुपरान्त राजा ने अपनी देह के सान्निध्य से श्रलङ्कारों को अलंकृत किया । कारण, उत्तम स्थान प्राप्त होने पर ही अलङ्कार अधिक सुशोभित होते हैं । 1 ( श्लोक २८ - ३२) एक मङ्गल मुहूर्त में पुरोहितों ने जिनका मङ्गल किया है ऐसे खड्गरत्न को हाथ में लेकर राजा दिक्यात्रा करने के लिए गजरत्न पर चढ़े । सेनापति ने अश्वरत्न पर आरोहण किया और राजा के आगे-आगे चले । समस्त उपद्रव रूप कुहासे को नष्ट करने के लिए दिनरत्न से पुरोहितरत्न राजा के साथ-साथ चले । भोजनदान में समर्थ और स्थान-स्थान पर सेना के लिए आवास और स्कन्धावार की व्यवस्था करने वाला गृहरत्न मानो जङ्गम चित्ररस नामक कल्पवृक्ष हो इस भाँति सगर राजा के साथ चला। मुहूर्त मात्र में नगर आदि का निर्माण करने में समर्थ पराक्रमी विश्वकर्मासावर्द्धकीरत्न भी उनके साथ चला। चक्रवर्ती के कर स्पर्श से ही विस्तारित होने में सक्षम छत्ररत्न और चर्मरत्न अनुकूल पवन स्पर्श से जैसे मेघ प्रवाहित होते हैं उसी भाँति उनके साथ-साथ चले । अन्धकार का नाश करने में समर्थ मणिरत्न और कांकिरणीरत्न जम्बूद्वीप का लघु रूप धारण कर दोनों चन्द्र-सूर्य की तरह उनके साथ चले । अनेक दासियाँ जिनके साथ हैं ऐसा अन्तः पुर मानो स्त्रीराज्य से उठ श्राया हो, चक्री के साथ छाया की तरह चला । दिक्समूह को प्रकाशित करने के कारण दूर से ही दिग्विजय को स्वीकार करता हुआ चक्ररत्न चक्रवर्ती के प्रताप की तरह पूर्व दिशा की ओर मुख किए अग्रसर होता रहा । पुष्करावर्त मेघ की घटा की तरह प्रयाग वादित्र के शब्दों से दिग्गजों का कान
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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