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________________ [107 जल-प्रवाह को बांधता है उसी प्रकार' देवनायु का बंध होता है और महापराक्रमी मन्त्र की तरह देवती आकर उपस्थित हो जाते हैं। उपर्युक्त बातें तो सम्यक्त्व का सामान्य फलमात्र हैं। इसका महाफल तो तीर्थंकरत्व और मोक्ष पद की प्राप्ति है। (श्लोक ८५३) प्रभु का प्रत्युत्तर सुनकर विप्र हर्षित हुआ और हाथ जोड़कर बोला-हे भगवन्, यह ऐसा ही है। सर्वज्ञ का कथम कभी अन्यथा नहीं होता ऐसा कहकर वह विप्र मौन हो गया। तब मुख्य गणधर ने यद्यपि वे वार्तालाप के अभिप्राय को समझ गए थे फिर भी समस्त पर्षदा के ज्ञान के लिए जगद्गुरु से जिज्ञासा की-हे भगवन्, इस ब्राह्मण ने प्रापसे क्या पूछा और आपने उसका क्या उत्तर दिया ? इस सांकेतिक वार्तालाप को हमारे सम्मुख स्पष्ट कीजिए। - (श्लोक ८५२-६०) प्रभु बोले-इस नगर के निकट शालिग्राम नामक एक अग्रहार (दान में प्राप्त भूमि पर बसा गांव) है। वहाँ दामोदर नामक एक मुख्य ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री का नाम था सोमा। इनके शुद्धभट नामक एक पुत्र हुमा। इसका विवाह सिद्धभट नामक किसी ब्राह्मण की सुलक्षणा नामक कन्या से हुआ। शुद्धभट और सुलक्षणा यौवन प्राप्त होने पर अपने बैभव के अनुरूप सुख-भोग करने लगे। कालक्रम से इनके माता-पिता का देहान्त हो गया। पैतृक सम्पत्ति भी धीरे-धीरे समाप्त हो गयी। प्रतः कभी-कभी रात्रि में उन्हें निराहार रहना पड़ता था। कहा भी गया है निर्धन के लिए सुसमय भी दुःसमय ही रहता है। शुद्धभट कभी विदेशागत भिखारी की तरह फटे-चिथड़े पहने नगर के राजपथ पर घमता रहता। कभी चातक पक्षी की तरह पिपासात रहता। उसकी देह पिशाच की तरह मैल से मलिन रहती। ऐसी अवस्था के कारण अपने मित्रों से लज्जित होकर अपनी पत्नी को बिना कुछ कहे वह दूर विदेश चला गया। कुछ दिनों पश्चात् लोगों से उसकी पत्नी को यह वज्रपात-सी खबर मिली कि वह विदेश चला गया है। श्वसुर और धन के नष्ट हो जाने व पति के विदेश चले जाने से सुलक्षणा स्वयं को दुर्लक्षणा समझती हुई बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करने लगी। वर्षा ऋतु आयी । विपुला नामक कोई साध्वी उसके घर चातुर्मास यापन करने के लिए पायीं। सुलक्षणा ने साध्वी को रहने का स्थान दिया
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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