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________________ [१२७ के लोकपाल की तरह चतुर चौकीदार नियुक्त किए। राज्य हस्ती की तरह प्रभु राज्य की स्थिति के लिए शरीर के उत्तम ग्रङ्ग मस्तक की तरह सैन्य के उत्कृष्ट अङ्ग स्वरूप हस्ती रखे। सूर्याश्व के स्पर्द्धाकारी उच्च ग्रीवा सम्पन्न उच्च जाति के अश्वों से प्रभु ने हयशाला पूर्ण की। नाभिनन्दन ने उत्तम काष्ठ से संश्लिष्ट सुन्दर रथ तैयार करवाया । चक्रवर्ती जन्म में एकत्र की थी ऐसी परीक्षित सामर्थ्ययुक्त पदातिक सैन्य एकत्र की उन्होंने जो सेनापति नियुक्त किए वे नूतन साम्राज्य के स्तम्भ रूप प्रतीत होते थे । गाएँ, भैंसें, वलिवर्द, खच्चर, ऊँट आदि पशुत्रों को भी व्यवहार ज्ञाता प्रभु ने एकत्र किया । ( श्लोक ९२४ - ९३३) । उस समय पुत्र होन वंश की भांति कल्पवृक्ष विनष्ट हो जाने पर मनुष्यों ने फल- मूल आदि खाना प्रारम्भ किया। चावल, गेहूं, चना दाल आदि शष्य भी तब अपने से ही तृरण की भांति उगने लगे थे । युगलिक उन्हें बिना पकाए ही खाते; किन्तु अपक्व अन्न हजम न होने के कारण उन्होंने प्रभु से यह बात निवेदन की । प्रभु ने कहा - ' उनका छिलका उतार कर खाओ ।' प्रभु के प्रादेशानुसार उन्होंने इसी प्रकार शष्य खाना प्रारम्भ किया; किन्तु सख्त होने के कारण वह भी उन्हें नहीं पचा । तब वे फिर प्रभु के निकट गए । भगवान् ने कहा - 'पहले शष्य को हाथ से मसलो फिर उन्हें जल में भिगो दो । फिर पत्ते के दोने में रखकर खाम्रो ।' उन्होंने इसी प्रकार शष्य खाना प्रारम्भ किया। फिर भी उनका जीर्ण दूर नहीं हुआ । तब वे फिर प्रभु के निकट आए । प्रभु ने कहा- 'उपर्युक्त विधि करने के पश्चात् मुष्ठि या बगल में उस शष्य को इस प्रकार रखो जिससे वह उष्ण हो जाए फिर खाम्रो ।' इस प्रकार खाने पर भी अजीर्ण दूर नहीं हुआ । वे क्रमशः दुर्बल होने लगे । उसी समय एक दिन दो वृक्ष शाखाओं के घर्षण से ग्रग्नि उत्पन्न हुई । ( श्लोक ९३४ - ९४१ ) उस अग्नि ने घास और वृक्ष लतादि को जलाना प्रारम्भ किया। लोगों ने उस ज्वलन्त ग्रग्नि को रत्न समझकर रत्न लेने के लिए हस्त प्रसारित किया । उससे उनके हाथ जल गए। तब वे प्रभु के निकट जाकर बोले - 'वन में एक अद्भुत भूत उत्पन्न हुआ है ।' प्रभु बोले- 'स्निग्ध और रूक्ष काल मिलित होने से अग्नि प्रकट हुई
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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