SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिया है और बताया है कि मेरे प्रभाव से ब्रह्मा, विष्णु आदि सभी देव प्रस्त हैं, में त्रिलोकविजयी हूँ। प्रसंगवश गणस्थान, बत्त, समिति, गुप्ति, षडावश्यक, ध्यान आदिका भी चित्रण होता गया है। हरिचन्द द्वितीय इन हरिचन्दका वंश अग्रवाल था। इनके पिताका नाम जंडू और माताका नाम बील्हा देवी था। कविने 'अणथमियकहा' की रचना की है। इस कृतिमें रचनाकाल निर्दिष्ट नहीं किया गया है; पर पाण्डुलिपिपरसे यह रचना १५वीं शताब्दीको प्रतीत होती है। कविने ग्रथको अन्तिम प्रशस्ति में अपने वंशका परिचय दिया है-- पाविज वोल्हा जंड तणा जाएं, गरुभत्तिए सरसइहि पसाएं । अयग्वालबसे पणइं, मई हरियंदेण भत्तिय जिण पणदेवि पडिउ पद्धडिया-छंदेण ॥११॥ यह प्रति लगभग ३०० वर्ष पुरानी है। अतएव शेली, भाषा, विषय आदिको दृष्टिसे कविका समय १५वीं शताब्दी प्राय: निश्चित है । कविकी एक ही रचना 'अणयमिय कहा' उपलब्ध है। ग्रंथमें १६ कड़वक हैं, जिनमें रात्रि भोजनसे हानेवाली हानियोंका वर्णन किया गया है। सूर्यास्तके पश्चात् रात्रिमें भोजन करनेवार सूक्ष्म-जीवोंके संचारसे रक्षा नहीं कर सकते । बहुत विषेले कीटाणु भोजनके साथ प्रविष्ट हो नानाप्रकारके रोग उत्पन्न करते हैं। ___ कविने तीर्थकर वर्धमानको बहत हो सुन्दर रूप में स्तुति की है और अनन्तर रात्रि-भोजनके दोषोंका निरूपण किया है । यहो स्तुति-सम्बन्धी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की जाती हैं जय चड्ढमाण सिवउरि पहाण, तइलोय-पयासण विमल-जाण । जय सयल-सुरासुर-णमिय-पाय, जय धम्म-पयासण वीयराय । जय सोल-भार-धुर-धरण-धवल, जय काम-कलंक-विमुक्कः अमल । जय इंदिय-मय-गल-बहण-वाह, जय सयल-जीव-असरण सणाह। जय मोह-लोह-मच्छर-विणास, जय दु-विट्ठ-कम्मटठ-णास । जय च उदह-मल-वज्जिय-सरीर, जय पंचमहष्वय-धरण-धीर । जय जिणवर केवलणाण-किरण, जय दंसण-णाण-चरित्त-चरण । कवि हरिचन्दकी अन्य रचनाएं भी होनी चाहिए । २२२ : तीर्थंकर महावीर और उनकी यानार्थ-TTETTE
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy