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________________ ४ आचार्य तुल्य काव्यकार एवं लेखक इस चतुर्थ भाग में उन जैन काव्यकारों एवं ग्रन्थ-लेखकों का परिचय निबद्ध है, जो स्वयं आचार्य न होते हुए भी आचार्य जैसे प्रभावशाली ग्रन्थकार हुए। इसमें चार परिच्छेद हैं, जिनका प्रतिपाद्य विषय अधोलिखित है प्रथम परिच्छेद: संस्कृत कवि और ग्रन्थलेखक -- इसमें परमेष्ठि, धनञ्जय, असम, हरिचन्द, चामुण्डराय, अजित सेन, विजयवर्णी आदि तीस संस्कृत कवियों एवं ग्रन्थ लेखकोंका व्यक्तित्व एवं कृतित्व वर्णित है । द्वितीय परिच्छेद : अपभ्रंश कवि एवं लेखक इस परिच्छेद में चतुर्मुख स्वयंभूदेव त्रिभुवन स्वयंभू, पुष्पदन्त, घनपाल, धवल, हरिषेण, वीर, श्रीचन्द्र, नयनेन्दि, श्रीवर प्रथम, श्रीधर द्वितीय, श्रीधर तृतीय, देवसेन, अमरकीर्ति, कनकामर, सिंह, लालू, यश कीर्ति, देवचन्द्र, उदयचन्द्र, रइधू, तारणस्वामी आदि पैंतालीस अपभ्रंश -कवियों-लेखकों और उनकी रचनाओंका संक्षिप्त परिचय निबद्ध है । तृतीय परिच्छेद: हिन्दी तथा देशज भाषा कवि एवं लेखक इसमें बनारसीदास, रूपचन्द्र पाण्डेय, जगजीवन, कुंवरपाल, भूधरदास धान्तराय, किशनसिंह, दौलतराम प्रथम, दौलतराम द्वितीय, टोडरमल्ल, भागचन्द, महाचन्द आदि पच्चीस हिन्दी कवियों और लेखकोंका उनकी कृतियों सहित परिचय अति है । अन्य देशज भाषाओं में कन्नड़, तमिल और मराठीके प्रमुख काव्यकारों एवं लेखकों का भी परिचय दिया गया है । चतुर्थ परिच्छ ेद : पट्टावलियां इस परिच्छेद में प्राकृत पट्टावलि, सेनगण पट्टावल, नन्दिसंघबलात्कारगण-पट्टावलि, आदि तो पट्टावलियां संकलित हैं। इन पट्टावलियों में कितना ही इतिहास भरा हुआ है, जो राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टियोंसे बड़ा महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है । इस प्रकार प्रस्तुत महान् ग्रन्थसे जहाँ तीर्थंकर वर्धमान महावीर और उनके सिद्धान्तों का परिचय प्राप्त होगा, वहाँ उनके महान् उत्तराधिकारी इन्द्रभूति आदि गणधरों, श्रुतकेवलियों और बहुसंख्यक आचार्यो के यशस्वी योगदान - विपुल वाङ्मय निर्माणका भी परिज्ञान होगा। यह भी अवगत होगा कि इन आचार्यों ने समय-समय पर उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियोंमें भी तीर्थंकर महाairat अमृतवाणीको अपनी साधना, तपश्चर्या, त्याग और अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग द्वारा अब तक सुरक्षित रखा तथा उसके भण्डारको समृद्ध बनाया है । आमुख : १५
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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