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________________ अंकित की गयी है । यह कृति भाव, भाषा और शैलीको दृष्टिसे साधारण है। हिन्दी रचनाओंमें राजमतिरास, दयारसरास ही महत्त्वपूर्ण हैं | शेष रचनाएँ सामान्य है। इनकी भाषापर गुजराती प्रभाव स्पष्ट है। राजमतिरासमें २०४ पद्य हैं और दयारसरासमें ९५ । राजमतिरासमें २२खें तीर्थकर भगवान नेमिनाथ और राजमतिका जीबन अंकित किया गया है। नेमिनाथ की विरक्तिके पश्चात् राजुलका विरह मार्मिक रूपमें चित्रित हुआ है। राजुल आत्मशक्ति एकत्र कर स्वयं तपस्विनी बनती है। इस रासमें राजुल और सस्तीका संवाद बहुत ही मार्मिक है | सखी कहती है तव सखि भणइ न जानसि भावा, रुति असाढ कामिनि सरु लावा । वादर उडि रहे चहुँ देसा, विरहनि नयन भरइ अलिकेसा ॥ इस प्रकार कविकी रचनाएँ जनसामान्यको तो प्रभावित करती ही है, द्वानोंक की प्रेरणा देता है। य.वि वि. सं० १६३९, की मार्गशीर्ष शुक्ला एकमको षड़ावश्यककी एक प्रति अपने डूगराको दी थी। नरेन्द्रसेन नरेन्द्रसेन नामके कई आचार्य हुए हैं, पर हमें 'प्रमाणप्रमेयकलिका' के रचयिता नरेन्द्रसेनका व्यक्तित्व और कृतित्व उपस्थित करना अभीष्ट है। एक नरेन्द्रसेनका उल्लेख वादिराजने अपने न्यायविनिश्चयकी अन्तिम प्रशस्तिमें किया है । वादिराजने इनकी गणना विद्यानन्द, अनन्तवीर्य, पूज्यपाद, दयापाल, सन्मतिसागर, कनकसेन, अकलंक और स्वामी समन्तभद्रकी श्रेणी में की है। वादिराजका समय ई० सन् १०२५५ है, अतः नरेन्द्रसेन इनके पूर्ववर्ती हैं । । दूसरे नरेन्द्रसेन वे हैं, जिनको गुणस्तुति मल्लिषेण सूरिने नागकुमार चरितकी अन्तिम प्रशस्तिमें की है। तस्यानुजश्चारुचरित्रवृत्तिः प्रख्यातकीर्तिभुवि पुण्यमूर्तिः । नरेन्द्रसेनो जितवादिसेनो विज्ञाततत्त्वो जिसकामसूत्रः ।। मल्लिषेणने इन नरेन्द्रसेनको जिनसेनका अनुज बतलाया है और उन्हें उज्ज्वल चरित्रका धारक, प्रख्यातकीर्ति, पुण्यमूर्ति, वादिविजेता, तत्त्वज्ञ एवं कामविजयोके रूपमें वर्णित किया है। वादिराज और मल्लिषेण दोनों समकालीन हैं । अतएव दोनोंके द्वारा उल्लिखित नरेन्द्रसेन एक ही व्यक्ति हो सकते हैं। १. अनेकान्त, पृ० १९० से उद्धृत । २. प्रशस्तिसंग्रह, वीरसेवा मन्दिर, दिल्ली, पृ० ६१ । ४२४ : तीर्थंकर महावीर और उनकी बाघार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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