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________________ भषणका उल्लेख आया है, उनके समयप' विचार करने से भी नेमचन्द्रकी तिथि ज्ञात की जा सकती है | जैन साहित्यमें मार ज्ञानभूषणोंका उल्लेख मिलता है। गक ज्ञान भपण भुवनकोतिक शिष्य है गरे नकीसिक शिम है, नीसरे वीरचन्द्र के शिष्य हैं और चौथे गोलभपण जिग्य । भवनकोनिमा लिप्य ज्ञानभषण बलात्कारगण रमाबाक भट्रारक थे । इन्होंने वन १९६८ म चारित्रयन्त्र, संवत् १५३५ में एक नयमिति और गंवा १:४२ में गुदपप्रभमतिवी प्रतिष्ठा करायी थी । वि० गं० .८८ नशातगणीची रचना' भी इन्हीं ज्ञानभूषणने की है। नन्दिपकी पट्टानला। कावा गचय दिया गया है। अतः भवनकत्तिके शिष्य ज्ञानभूपणही नांगयन्द्रका होगात है । जानपण गजरातके रहनेवाले थे और दक्षिण तथा उत्तरगः प्रशाम जयन्य थे। मचन्द्र भी गुजरातसे चित्रकूट गये थे। नेमिचन्द्रको सूरिपद भट्रारक प्रभाचन्द्रने प्रदान किया था। यादिचन्द्रन विक्रम संवत् १५४० में पाश्वपुराण और वि० सं० १६४८ में ज्ञानमयोदय नाटक लिखा है। इन्होंने अपने गुरुका नाम भट्टारक प्रभाचन्द्र बतलाया है, साथ ही अपनेको ज्ञानभूषणका प्रशिष्य और प्रभावको शिष्य बताया है। इनके द्वारा रचित श्रीपालाख्यान नामक गुजराती ग्रन्थमें इनकी गुरुपरम्परामें विद्यानन्दि, मल्लिभूषण, लक्ष्मीचन्द्र, वीरचन्द्र, ज्ञानभूषण, प्रभाचन्द्र और वादिचन्द्र के माम आये हैं । अतः इस परम्पराके अनुसार तत्त्वज्ञानतरंगिणीके रचयिता भट्टारक ज्ञानभूषणके शिष्य भट्टारक प्रभाचन्द्र थे । इन्हीं प्रभाचन्द्र भट्टारकने नेमिचन्द्रको सूरिपद प्रदान किया था। अतः ज्ञानभूषण और प्रभाचन्द्रकी संगति नेमि'चन्द्रके साथ बैठ जाती है। अतएव टीकाकार नेमिचन्द्रका समय १६वीं शती सिद्ध होता है और जीवतत्त्वप्रदीपिकाका समाप्तिकाल ई० सन् १५१५ के लगभग आता है। श्री पं० नाथूराम प्रेमीने भी दीर निर्वाण संवत् २१७७-६०५ = १५७२ माना है। पर वे इसे शक संवत् मानते हैं, जो गलत है। यह विक्रम संवत् है, शक नहीं। इस प्रकार नेमिचन्द्रका समय ईस्वी सन्की १६वीं शतीका मध्य भाग है। नेमिचन्द्रवी 'जीवतत्त्वप्रदीपिका' नामक गोम्मटसारकी संस्कृत-टीका प्राप्त १. यदैव विक्रमातीताः शतपञ्चदशाधिकाः । षष्टिः संवत्सरा जातास्तदेयं निर्मिता कृतिः ।। -तत्त्वज्ञान० कलकत्ता १९१६, १८०२३ । २. जैनसिद्धान्तभास्कर भाग १, किरण ४, पृ० ४३-४५ 1 ४१८ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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