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________________ न्यदा तदभावेऽपि तद्भावशकनस्यानिवृत्तः । तस्मात्प्रत्यक्षानुमानाभ्यामन्यत्तयैवायं विकल्पः प्रमाणयितव्यः । ___ चार्वाकके प्रति अनुमानकी प्रमाणता भी सिद्ध की गयी है । अनुमानके अभावमें न तो किसी भी बुद्धिका परिज्ञान होगा और न स्वेष्टसिद्धि तथा परेष्टमें दोषोद्भावन ही सम्भव होगा। भूतचतुष्टयकी सिद्धि भी अनुमानके बिना नहीं हो सकती है । अतएव चार्वाकको भी अनुमान प्रमाण मानना पड़ेगा। अभावका अन्तर्भाव प्रत्यक्षप्रमाणमें किया है। अनुमानके वैरूप्य और पाञ्चरूप्योंका निरसन करते हुए अबिनाभावको ही हेतु सिद्ध किया है। आममप्रमाणकी चर्चा करते हए बताया है कि शब्दप्रमाणका अन्तर्भाव अनुमानमें सम्भव नहीं है, क्योंकि दोनोंका विषय भिन्न है। शब्द केवल वक्ताकी इच्छाम ही प्रमाण है, बाह्य अर्थ में प्रमाण नहीं, यह भी कहना असंगत है। यतः शब्दका विषय केवल विवक्षा ही नहीं है। इसी सन्दर्भ में शब्दको पौद्गलिक भी सिद्ध किया है। यह ग्रन्थ गद्ममें अकलंकदेवके ग्रन्थों का सार लेकर लिखा गया है। ग्रन्थकर्ताने लिखा है मुख्यसंव्यवहाराभ्यां प्रत्यक्षा यन्निरूपितम । देबस्तस्यात्र संक्षेपान्निर्णयो वणितो मया ॥ पअनन्दि प्रथम पद्मनन्दि प्रथमसे हमारा अभिप्राय जंबूदीव-पण्णत्तिके कर्तासे है। यों तो आचार्य कुन्द कुन्दका भी एक नाम पद्मनन्दि मिलता है, पर इस नामसे उनकी ख्याति नहीं है। अतएव पद्मनन्दि प्रथमको हम जंबूदीवपणत्तिका कर्ता मानते हैं। ___ अभिलेखीय साहित्यसे कई पद्यनन्दियोंके अस्तित्वकी सिद्धि होती है। एक पद्मनन्दि चन्द्रप्रभके शिष्यके रूपमें उल्लिखित हैं। इनका निर्देश डॉ० हीरालालजीने जैन-शिलालेख संग्रह प्रथम भागको प्रस्तावनामें किया है। दूसरे पद्मनन्दि वि० सं० ११६२ में सिद्धान्तदेव व सिद्धान्तचक्रवर्ती मूलसंघ, कुन्दकुन्दान्वय, काणूरगण एवं तितिणिकगच्छमें हुए है। तीसरे पद्मनन्दि गोल्लाचार्यके प्रशिष्य और काल्ययोगीके शिष्य हुए हैं। इनका नाम कौमारदेवव्रती था और दूसरा नाम अविद्धकर्ण पद्मनन्दि सैद्धान्तिक था। ये मूलसंघ देशीयगणके १. प्रमाणनिर्णय, पृ० ३६ ।। २. यही, पृ० ३३ । ३. एपिग्राफी कर्नाटिका, भाग ७, अभिलेख सं० २६२ । प्रवृद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : १०७
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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