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शिष्य नेमिषेण नेमिषेणके शिष्य माधवसेन और माधवसेनके शिष्य अमितगति
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हुए। अमितगतिको शिष्यपरम्पराका परिज्ञान अमरकीर्तिके 'छक्कम्मोवएस' से भी होता है। इस ग्रन्थके अनुसार अमितगति, शान्तिषेण, अमरसेन, श्रीसेन, चन्द्रकीति और चन्द्रकीतिके शिष्य अमरकीर्ति हुए हैं। इनकी गुरु-शिष्यपरम्परा निम्न प्रकार ज्ञातव्य है
(अमितमति द्वितीयकी धर्मपरीक्षानुसार)
वीरसेन
देवसेन
योगसार प्राभृतकार अमितगति ( प्रथम )
नेमिषेण
I मायसेन
धर्मपरीक्षादिकार अमितगति (द्वितीय) } ( अमरकीर्ति 'मोवत' के अनुसार)
शान्तिषेण
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अमरसेन
I
श्रीसेन
1
चन्द्रकीर्ति
T
'छक्क मोबएस' के कर्ता अमरकीर्ति
श्री पण्डित विश्वेश्वरनाथ' रेवने अमितगति द्वितीयको वाक्पतिराज मुञ्जकी सभाके एक रत्नके रूपमें स्वीकार किया है ।
अमितगति बहुश्रुत थे । उन्होंने विविध विषयोंपर ग्रन्थोंका निर्माण किया है । काव्य, न्याय, व्याकरण, आाचारप्रभृति अनेक विषयोंके विद्वान् थे । इन्होंने पञ्चसंग्रहकी रचना मसूतिकापुर में की थी । यह स्थान बारसे सात कोस दूर मसीदकिलोदा नामक गाँव बताया जाता है ।
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१. भारत के प्राचीन राजवंश, प्रथम भाग, प्रकाशक हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई, सन् १९२० पृ० १०१ ।
३८८ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा