________________
विषय सिंह-पर्याय : पुनः उत्थानकी ओर कनकोज्ज्वल-पर्याय : उदित हुए साधना-अंकुर हरिषेण-पर्याय : विकसित हई साधना प्रिय-मित्र चक्रवर्ती : साधनाने अंगडाई ली नन्दभव : सफल हुई कामना–तीर्थंकरत्वका बन्ध
तृतीय परिच्छेद समसामयिक परिस्थितियाँ, महान विचारक एवं सम्प्रदाय आर्थिक स्थिति सामाजिक स्थिति धार्मिक स्थिति अक्रियावाद-प्रवर्तक : पूर्णकाश्यप नियतिवाद-प्रवर्तक : मक्खलि गोशालक जाद-प्रवर्शन : अजितक्षेप कम्बल अन्योन्यवाद-प्रवर्तक : प्रक्रुद्ध कात्यायन विक्षेपवाद-प्रवर्तक : संजय वेलट्टिपुत्त
चतुर्थ परिच्छेद तीर्थकर महावीरको जन्मभूमि, जन्म और किशोरावस्था गणतंत्र वैशाली उपनगर : कुण्डनाम वैशाली कृतार्थ हो गई सूखे धरतीके आँसू त्रिशलाका स्वप्न-दर्शन
१. गज : तीर्थनायक २. श्वेत-वृषभ : सत्यप्रवर्तक ३. सिंह : अनन्त ऊर्जाका द्योतक ४. मन्दार पुष्पमाला : दिग्दिगन्त यशःसुरभि विस्तार ५. लक्ष्मी : इन्द्र-देवेन्द्रों द्वारा वन्दनीय ६. चन्द्र : अमृत-वर्षण ७. सूर्य : दिव्यज्ञान-प्राप्ति ८. जलपूर्ण कलश : करुणाका प्रसार
२८ : तीर्थंकर महावीर और उनको आचार्य-परम्परा