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________________ गाथा : ५३४ - ५३५ ] अट्टम महाहियारो पलिदोवमाणि पंचय - सत्तारस-पंचवीस परगतीसं । चउस जुगलेसु प्राऊ गादव्या आरण- दुग-परियंतं व ते पंच मूलाधाराइरिया' एवं णिउणं ५ । १७ । २५ । ३५ । ४० । ४५ । ५० । ५५ । 2 इंद- वेवीणं ।।५३४ ॥ पंच- पल्लाई । णिरूर्येति ॥ ५३५|| [ ५७१ पाठान्तरम् अयं - चार युगलोंमें इन्द्र-देवियोंकी आयु क्रमशः पाँच, सत्तरह, पच्चीस और पैंतीस पल्य प्रमाण जाननी चाहिए । इसके आगे आरण-युगल पर्यन्त पाँच-पाँच पत्यकी वृद्धि होती गयी है, ऐसा मूलाचार ( पर्याप्त्यधिकार ८० ) में आचार्य स्पष्टता से निरूपण करते हैं ॥ ५३४-५३५ ।। पाठान्तर [ तालिका अगले पृष्ठ पर देखिये 1 १. ८. ब. क. ज. ४. सूलानारोइरिया । २. व. ब. गिउवरण, क. अ. रु. शिजणा । ३. व. ब. ७ ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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