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________________ गाथा : ४७० ] [ ३७३ सत्तमो महाहियारो नक्षत्रोंके नाम, ताराओंकी संख्या एवं प्राकार ताराओं क्रमांक नक्षत्र | ताराओं ___ की ताराओं के प्राकार संख्या क्रमांक नक्षत्र की ताराओं के आकार संख्या दि पुष्य कृतिका बीजना सदृश | १५.| अनुराधा वीणा सदृश रोहिणी ५ गाड़ीकी उद्धिका | १६. ज्येष्ठा सींग सदृश मृगशीर्षा हिरण के सिर | १७. मूल बिच्छू सदृश पार्दा दीप सदृश |१८. पूर्वाषाड़ा दुष्कृत वापी सहश पुनर्वसु 'लोरण सदृश | १९. उत्तराषाढ़ा सिंहके सिर सदृश छत्र सदृश |२०. अभिजित् हाथोके सिर सदृश आश्लेषा | ६ वल्मीक (बांबी), २१.| श्रवण मुरज (मृदङ्ग), मघा . . .. ४ गोमूत्र सदृश | २२. धनिष्ठा गिरते हुए पक्षी, पूर्वा फाल्गुनी | २ सरयुग , २३.| शतभिषा सेना सदृश उत्तरा , हाय । |२४. पूर्वाभादपद , २ हाधीके पूर्व शरीर , हस्त उत्पल उत्तराभाद्रपद हाथीके अपर शरीर (नीलकमल) चित्रा दीप सदृश | २६. | रेवती नौका सदृश स्वाति अधिकरण , २७. अश्विनी घोड़ेके सिर सदृश विशाखा हार २८. भरणी ३ | चूल्हेके सदृश कृत्तिका मादि नक्षत्रोंकी परिवार ताराएं और सकल ताराएँ-- णिय रिणय तारा-संखा, सव्वारणं ठाविदूग रिक्खाणं । पत्तेक्कं गुणिवध्वं, एक्करस - सवेहि एक्फरसे ॥४७०॥ ११११ ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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