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________________ पंचमी महाहियारो [ १५१ या संसार राशि १३ – { ( = २ ) + =रि ४२ } सामान्य वनस्पतिकाधिक जीव४रि गाथा : २८२ ] राशिका प्रमाण है । साधारण वनस्पतिकायिक जीवोंका प्रमाण तम्मि श्रसंखेज्जलोग- परिमाणमवणिदे सेसं साधारण- वणप्फटिकाइय-जीवपरिमाणं होदि । १३= । अर्थ - इसमें ( सामान्य वनस्पतिकायिक जीवराशि में ) से असंख्यात लोकप्रमाणको घटाने पर शेष साधारण वनस्पतिकायिक जीवोंका प्रमाण होता है । विशेषार्थ- - सामान्य वनस्पतिकायिक जीवराशि -- १३ – { ( 3 ) + = } - {= रिरि} रि अर्थात् १३ = प्रमाण है । • असंख्यात लोक | ― साधारण बाद वनस्पतिका० और साधारण सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीवोंका प्रमाण तं तप्पा मोग्ग-प्रसंखेज्जलोगेण खंडिदे तत्थ एग-भागो साहारण - बावर-जोब परिमाणं होदि । १३ अथ - इसे अपने योग्य श्रसंख्यात लोकसे खण्डित ( भाजित ) करने पर उसमेंसे एक भाग साधारण बादर जीवोंका प्रमाण होता है । विशेषार्थ-साधारण बादर बन० जीव राशि साधारण वनस्पति० जीव राशि - प्रसंख्यात लोक अर्थात् ( १३ | ) प्रमाण है । =(135) प्रमाण है । सेस - बहुभागा साहारण-सुहुमरासि परिमाणं होदि । १३३ 1 अर्थ - शेष बहुभाग साधारण सूक्ष्म जीव राशिका प्रमाण होता है । विशेषार्थ- - साधारण सूक्ष्म वन० जीवराशि = साधा० वन जीवराशि श्रसं० लोक - १ X असंख्यात लोक १
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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