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१०० ] तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : २६७ जब एक खण्डशलाका का प्रमाण ७५० करोड़ वर्ग योजन है सब ६६ खण्डशलाकामोंका क्या प्रमाण होगा? इसप्रकार राशिक करनेपर उपर्युक्त ( ७५० करोड़ X९६= ) ७२००० करोड़ वर्ग योजन अतिरेक रूप में प्राप्त होते हैं ।
इमप्रकार अधस्तन द्वीप या समुद्रके क्षेत्रफलसे तदनन्तर उपरिम द्वीप या समुद्रका क्षेत्रफल ४ गुना पार प्रक्षेपभूत ७२०००००००००० वर्ग यजिन दुगुना-दुगुना होता हुआ स्वयम्भूरमणसमुद्र पर्यन्त चला गया है।
स्वयम्भूरमण द्वीप का विस्तार, पायाम एवं क्षेत्रफल
तस्थ अंतिम-वियप्प बत्तइस्सामो-सयभरमण-दीवस्स विक्खंभं छप्पण्ण-रूवेहि भजिव-जगसेढी पुणो सत्त-तीस-सहस्स-पंच-सय-जोयणेहि अम्भहियं होवि । तस्स ठवणा५६ । धण जोयणारिस ३७५०० ।
प्रायाम पुण छप्पण्ण-रूयेहि हिव-रणव-जगसेढीओ पुणो पंच-लक्ख-बासट्ठिसहस्स-पंच-सय-जोयणेहि परिहीणं होदि । तस्स ठवणा । रिण जोयणाणि ५६२५०० ।
पुणो विक्खंभायाम परोप्पर-गुणिदे खेत्तफल रज्जूवे कवि रणव-हवेहि गुणिय चउसदिछ-रूवेहि भजिवमेत्तं किचूर्ण होदि । तस्स किचूरणं पमाणं रज्जू ठविय अट्ठावीससहस्स-एक्क-सय-पंच-बीस-हवेहि गुरिण दमेत्तं पुणो पण्णास-सहस्स-सत्त'-तीस-लक्ख-णवकोडि-अम्भहिय-वोणि-सहस्स-एक्क-सय-कोडि-जोयणमेतं होदि । तस्स ठवणा । । रिण ७ । २८१२५ रिण जोयणाणि २१०९३७५०००० ।।
अर्थ- इनमें से अन्तिम विकल्प कहते हैं --स्वयम्भूरमण-द्वीपका विस्तार छप्पनसे भाजित जगच्छणी प्रमाण और सेंतीस हजार पाँच सौ योजन अधिक है। उसकी स्थापना इसप्रकार हैजग +३७५०० योजन।
स्वयम्भूरमणद्वीपका आयाम छप्पनसे भाजित नौ जगच्छपियों से पांच लाख बासठ हजार पाँचसो योजन कम है । उसकी स्थापना इसप्रकार हैजग ९ -- ५६२५०० योजन ।
१. य. तेत्तीस । २. ८. २. उवणा ४ । ६ । ६४ ।