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तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : २४६
विशेषार्थ
का नाम
(विस्तार-१ लाख) x =अायाम
आयाम - वि० = बादर क्षेत्रफल
लवण समुद्र (२ ला०-१ ला.)४९=९ ला यो०९ला० x २ला० = १८०००करोड़ वर्ग यो. धातकी खण्ड |(४ ला०-१ला.)४९= २७ला०यो०२७ला० ४४ला० = १०८००० क० ," कालोद स० (८ला०-१ला०) ४९= ६३ ला० यो०६३ला०४८ला० - ५०४००० क० ,,, पुष्कर द्वीप |(१६ला०-१ला०) ४९=१३५ला० यो १३५ला० ४ १६ला ० = २१६०००० ,,, पुटकर० समुद्र ] (३२ला ०-१ ला! ४६= २७९ लामो ला० x ३२ला ०८-८९२८०००।"
जघन्य-परीतासंख्यातवें क्रमवाले द्वीप या समुद्रका बादर क्षेत्रफल
एवं जंबूदीव-प्पहुदि-जहण्ण-परित्तासंखेज्जयस्स 'रूवाहियच्छेदणयमेतद्वारणं' गंतररा द्विद-वोवस्स' खेत्तफलं जहण्ण-परिचासंखज्जयं रूऊण-अहष्ण-परित्तासंखेज्जएण गुणिय-पुणो णव-सहस्स-कोडि-जोयणेहि गुणिदमेत खेसफलं होदि । तच्चेदं१६ । १६ । ६०००००००००० ।
अर्थ-इसप्रकार जम्बूद्वीपको आदि लेकर जघन्य-परीतासंख्यातके एक अधिक अर्धच्छेद प्रमाण स्थान जाकर जो द्वीप स्थित है उसका क्षेत्रफल जघन्य-परीतासंख्यातको एक कम जघन्यपरीतासंख्यातसे गुणा करके फिर नौ हजार करोड़ योजनोंसे भी गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उतना है । वह प्रमाण यह है-१६४ ( १६ – १)४९०००००००००० ।
( संदृष्टि में ग्रहण किया गया १६, जघन्यपरीतासंख्यातका कल्पित मान है )। पल्योपमके एक अधिक अर्धच्छेद स्थानपर स्थित द्वीप या समुद्रका क्षेत्रफल
पुणो जंबूदीव-प्पहुषि-पलिदोवमस्स रूवाहियच्छेदणय-मेत ठाणं गंतूण द्विवबीयस्स खेसफल पलिवोवमं रूऊण-पलिदोवमेण गुणिय पुणो णव-सहस्स-कोडि-जोयणेहि गुणिदमेत होदि । तच्चेवं पमाणं-प।प१।६००००००००००। एवं जाणिवण" वध्वं जाव सयंभूरमण-समुद्दोस्ति ।
३.६. जीवरस।
४, द. ज. गुणिद
१ द.ज.क हवोचिय, ब. रूवोय। २. द. क्र. मेत्तधाणं। खेत होदि। ५. द. ज. गणिणिदुण, ब. गणिणदूरण ।